Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ १०३ १६ १७ २०० अनुक्रमणिका. १३० चक्री अने सौधर्मेजनो मेलाप, ११ इंजना कहेवाथी चक्रीए शत्रुजयपर बनावेलां "त्रैलोक्यवि जम" श्रादिक प्रासादोनां वर्णन. १३२ प्रासादोमां करेली प्रतिष्ठा श्रादिकनुं वर्णन. १३५ चक्रीए श्री षनदेव प्रनु आदिकोनी करेली स्तुति, तथा गणधरोए तेमने करेला तिलक आदिकनुं वर्णन. १३४ श्रीनान गणधर महाराजनी देशना, तेमां तेए करेलु सा त क्षेत्रोनुं वर्णन. १३५ शत्रुजयी नदीनो महिमा. १९३ १३६ शांतनु राजानुं वृत्तांत. रए। १३७ ऐंडी आदिक नदीउनुं माहात्म्य तथा वृत्तांत. १३० ब्रह्मगिरि श्रादिक शिखरोपर चक्रीए करावेलां मंदिरो. १३ए चक्रीन गिरनारजीप्रते प्रयाण. २०३ १४० तापसोनुं वृत्तांत. २४१ रेवताचलनुं वर्णन. १४२ गजपगलांना (हाथीपगलांनां) कुंडनो महिमा. ११३ चक्रीए श्री नेमिनाथ प्रजुनी करेली पूजा, तथा स्तुति. ០ថ १५४ चक्रीए करेलुं गिरनारजीनुं वर्णन. २११ १४५ बरट राक्षसनुं वृत्तांत. २१५ १४६ गिरनारपर चक्री तथा ब्रह्मेनो मेलाप. १३ १४७ चक्रीन गिरिपुर्गपुरमा (जुनागढमां) आगमन. २१४ १४७ चक्रीए बु विगेरे तीर्थोपर करेला उधारो. २१५ १४ए चक्रीनुं अयोध्यामां फरीने श्रागमन. सर्ग हो. १५० श्री ज्ञषजदेव प्रजुनु अष्टापदप्रते श्रागमन. १७ १५१ श्री षनदेव प्रजुनो मोद. १ए १५२ श्री शषजदेव प्रजुनाशरीरनो इंसादिकोए करेलोश्रग्निसंस्कार. २२० १५३ प्रजुना शरीरना अनिदाहनां स्थानके चक्रीए करेलो 'सिंह निषिक" प्रासाद. २०४ २०५ २०० १६ २२० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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