Book Title: Shatrunjay Giriraj Darshan in Sculptures and Architecture
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Aagamoddharak Granthmala

Previous | Next

Page 321
________________ (०) --- --- श्रीशत्रुजय-गिरिराज-दर्शनम् ले० ५३२, न० ३२ ॥ [1] संवत् १७-----वर्षे [2] -------- [3] ----- ---------------[4]---- ले० ५३३, न० ३३ । अष्टापदमंदिरे पाषाणस्थते स्थिता साधुभिमूर्तिः सनमुखे चामरधारिश्च, साधुमूर्तिमस्तकोपरतनभागे जिनमूर्तिः ॥ [1] संवत १३८३ वर्षे ज्येष्ट वदि ८ गुरौ रौद्र[2] पल्लीय श्रीचारुचंद्रसूरीणां मृतिः-- कु-म[3]-चंद्रशिष्य-. बुद्धिनिवास कारापिता ॥ ले० ५३४, न० ३४ तन्मदिरे पार्वे पीतवर्णपाषाणे श्राद्धः द्वौ पत्त्यौ च ॥ [1] संवत १४१८ वर्षे वैशाख शुदि १० बुधे श्रीश्रीमा[२]लज्ञातीय महं तेजा सुत महं मूलामू ति भार्या [3] बइ महगलदेवि मूर्ति भार्या बइ-मादेविमूर्ति (4)--------- धरणीधरेण कारापितः । शुभं भवतु ॥ ले० ५३५, न० ३५ ॥ (1) संवत १६-- ---पाट(2)णमधे उ--------- (3) ज्ञातीय---------(4) कनक------(5) बू---------(6) ले० ५३६, न० ३६ ॥ (1) —पडित (2) ------णंइ(3)ण एथ (4) गणि रिद्ध(5)हर्ष–ठ (6) तहाः ॥ ले० ५३७, न० ३७ । दादामंदिरे प्रवेशद्वारे जीर्णो लेखः ॥ (1) संवत १६६८ वर्षे------(2) ले० ५३०, न० ३८ । वरगतलेखसंनिधौ द्वारशाखे लेखः ॥ (1) श्रीदेवगुरु (2) प्रसादात् (3) संघवी श्री(4)पाल संघ(5)वी श्री-----(6)ला-----सं(7)एवी श्री अन्याः सप्तपंक्त्योऽवाच्याः सन्ति ले० ५३९, न० ३९ । वरगतलेखान्तरे लेखः ॥ (1) संव----(2) ४----र्षे (3) मा-फा(4)गुण वदि(5)५----वी(6)व-ज(७)श्रीसेजु (अन्त्याः पक्त्यो न पठयंते ले० ५४०, न० ४० । दादामन्दिरे दक्षिणद्वारे सव्ये लेख: ॥ (1) संवत (१०४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334