Book Title: Shatrunjay Giriraj Darshan in Sculptures and Architecture
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Aagamoddharak Granthmala
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श्रीशत्रुजय-गिरिराज-दर्शनम्
ले० ५४८, न० ४८ वरलेखपाचे लेखः ॥ (1) संवत् १६७० वरषे वइसारख व(2)द ११ सनउ श्री व---(3) रजास-----वी (4) मलदास श्री---दास त सा (5) ----रषबदास सा. चत्रदास (6) जात्रा करी.
ले० ५४९, न० ४९ एतदेव प्रासादे दक्षिणद्वारे चोकीमध्येऽसव्यद्वारे द्रारशाखगतो लेखः ॥ (1) संवत्-(2)--वर्षे मा (3) ह वदि १० (4) गुरौ । तप(5)गच्छमंड(6)ण श्री ५ (7) श्री हीर(8)विजय(9) सूरि(री)श्वर (10) गुरुभ्यो (11) नमः ॥ त(12)त्पाटप्रभा(13)कर श्री ५ श्री (14) विजयसेन (15) सू रिगुरुभ्यो (16) नमः ॥ तत्पा(17)ऽप्रभाकर (18) महोपाध्या-(19) यश्रीविम (20) लहर्षगु (21) रुभ्यो नमः (22) --- (23) ---- (24) —T (25) ----हर्षग (26) रत्नहर्ष ते(27)हनो भाई (28) ऋषि श्री प्रे(29)मविजय (30) यात्रा- (31) कीवी दि (32) वाण श्री भी(33)म तत सिष (34) गणि माणि(35)क्य---(36)------ की(37)धी
ले० ५५०, न० ५० तत्रैव गवक्षगतो लेखः ॥ (1) संवत १६२९ वर्षे आसो वदि ९ वार रवौ (2) पं० राजपालना शिप गणि ज्ञानसागर(3)नी जात्रा १०८ चेला ब्रदिसागरनी जात्रा (4) साह रायसंघ रतनसी रषि समुगणजी (5) पटुआ अमरसी साह जयवंत सोनी गणराज (5)-------जात्रा कीधी ते नाम सफल - ले० ५५१, न० ५१ । तत्रैव स्तंभगतो लेखः ॥ (1) पंडत जुगुरा(2)ज रुष माण(3)कविमल (4) रुष मन व(5)डविमलनी (6) जात्र-----सफल द्विपंचाशततः षडशितिपर्यन्ता लेखा वाघ्रपतोलीका द्वारोपरतनभागे रक्षीताः सन्ति
ले० ५५२, न० ५२ ॥ (1) संवत १६७७ वर्षे चैत्र शुदि १५ (2) दने सा----जात्रा आ(3)वा------(4) रामपर जात्रा-----
ले० ५५३, न० ५३ ॥ (1) श्रीदेवगुर(रु)प्रसादेन संबत १६१५ वरपे स(2)रावण शदि २ दने श्री अमदावाद वास्तव्य श्री (3) श्रीमालीग्नाती सं० गेला स(सु)त सं० ----- स(सु)त (4) जेठा भात्त(भ्रातृ ?) सं० कूरपाल सुत सं० सिजपाल भा
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