Book Title: Shatrunjay Giriraj Darshan in Sculptures and Architecture
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Aagamoddharak Granthmala

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Page 324
________________ श्रीशजयगिरिधरगता लेखाः (5)र्या बाई मगाई सुत सं० कव्वरजी भार्या बाई प(6)दमाई पुत्रपुत्री सोभागिणि भात्त(भ्रातृ) मेघजी अभ(7)राज धनजी वधमांन बाई लबाई स(सु)त लखरा(8)ज भार्जा प्हराई तथा सकटंब सप्त वारा ज्यात्रा (9) सफल गुर तपागच्छे जुगप्रधान श्री ६ जिन शा (10)सनप्रद्योतकार श्री ६ आणंदविमलसू रि तत् (11) पटे जुगप्रधान श्री ६ विजि(जयदान सुर जुवराज (12) श्री ६ हीरवजिसुर उपदेसात श्री सेत्रंजु मा((13)हातीर्थ सं० कुअरजीइं भाणेज लखराजनि (14) देहेरी सुषकी माटि भामेआली साहा जिवंत (15) भार्या ब० लवाई स(सु)त लखराज भार्या प-------ली--शुभं भवतु ले० ५५४, न० ५४ ॥ (1)------------(2)---------- (3)-----------(4)----जात्रा सफल ले० ५५५, न० ५५ ॥ (1) पस वद ३--(2)----सा० लुपा--(3)--थ-राजया(4)ल जेसलमेरानी (5) सेज जात्रा स(6)फल ले० ५५६, न० ५६ ॥ (1) सं० १-४९--------(2) ११ दने------- (3) ----(4) जात्रा सफल ले० ५५७, ५७ ।। (1) सं १६४- (2) ------११ (3) --------- ले० ५५८, न० ५८ ॥ (1) संवत १६ (2) ------(3) ----(4)---- ले० ५५९, न० ५९ ॥ (1) सं० --५२ वर्षे-------(21 हीरविजयसु(सू )रि(री)श्वरगुरुभ्यो न--(3) वछराज अमदावादवास्तव्य ले० ५६०, न० ६० ॥ (1) सं० १६५२ वरषे चैत्र शुदि १५ दने तपागच्छ श्रीहीर(2)विजयसूर(रि)गुरुभ्यो नमः साहा -घा भार्जा बा० (3) मेघाई प्रागवंशे वास्तवं(व्य) पंडारणू देहरी करावी ले० ५६१, न० ६१ ॥ (1) संवत १६६० -(2) ---------(3)------ --जत्र (4) सफल----(5)---------(6)---------(7)----- ले० ५६२, न० ६२ ॥ (1) संवत--५० वर्षे भाद्रवा (2) सुदि २ श्रीहीर (१०७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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