Book Title: Shatrunjay Giriraj Darshan in Sculptures and Architecture
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Aagamoddharak Granthmala

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Page 320
________________ श्रीशत्रुजयगिरिवरगता लेखाः ले० ५२४, न० २४ ॥ [1] संवत १६६५ वर्षे वैशाख शुदि ७ रवौ वेलाउलवंदिर[2]वास्तव्य ओसवालज्ञातीय सा०---------भार्या बा० [3] रूपादे सुत सा० पीमसी भार्या सोभागिणि [4] देहरी तपागच्छे भ० श्रीविजयदेवसूरिराज्ये ले० ५२५, न० २५ ॥ [1] संवत-------[2]-----ओसवंशे------- [3]---------[4]---[5]----------भार्या बा० म--लदे प्रमुख [6] कुटुंबयुतेन देवकुलिका कारापिता ले० ५२६, न० २६ ॥ [1] संवत १६८३ वर्षे-------[2] श्रीश्रीमालीज्ञातीय वृद्धशाखीय दोशी तेजपाल [३] दो० जावड भार्या बाई सोहणादे पुत्र दो० हीरजी [4] देवकुलिका कारापितं तपागच्छ भट्टा[5]रक श्रीविजयदेवसू रिराज्ये ॥ ले० ५२७, न० २७ ॥ [1] संवत---८४ वर्षे चैत्र शुदि [2] १५ दिने दीवबंदिरवास्तव्य [3] सा० हीरजी भा० बा० अजादे [4] ---------प्रमुखकुटुं[5]बयुतेन देवकुलिका का० ले० ५२८, न० २८ ॥ [1] संवत १६८२ वर्षे वैशाख शुदि ३ दिने पाटणवास्तव्य ओस[2]ज्ञातीय वृद्धिशाखीय सा० जेठा भार्या बा० हीरा सुत [3] सारंगधर भार्या बा० चोथीनाम्न्या श्रीशत्रुजये देवकु[4]लिका कारिता । तपागच्छे भ० श्री५श्रीविजयदेवसू रि [5] [आ]चार्य श्री ५ श्रीविजयसिंहसू रिराज्ये । ले० ५२९, न० २९ ॥ [1] संवत १६-----वर्षे [2] --------[3] ------[4]-------लिका [5] कारापिता तपागच्छे ले० ५३०, न० ३० ॥ [1] संवत----८६ वर्षे उटालाग्रा[2]मवा--- --सा० अमरा [३] ----------[4] नी देहरी करावी ले० ५३१, न० ३१ ॥ [1] संवत १६८२ वर्षे वैशाख शुदि ३ दिने पाटणवास्तव्य ओस[2]वालज्ञातीय वृद्धिशाखीय सा० जेठा भार्या बा. हीरा सुत [3] अमीचंद सारिंगधरप्रमुखनाम्न्या शत्रुजयोपरि देव कु][4]लिका कारिता ॥ तपागच्छे भ० श्रीविजयदेवसू रिश्व[][5][प]टालंकार आचार्य श्रीविजयसिंहसू रिराज्ये ॥ (१०३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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