Book Title: Shastra Maryada
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Z_Dharma_aur_Samaj_001072.pdf

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Page 14
________________ धर्म और समाज १०८ - स्त्री के सतीत्वकी प्रतिष्ठाको दर्ज किये बिना भी छुटकारा नहीं । नई स्मृतिर्मे चालीस वर्ष से अधिककी उम्र वाले व्यक्तिका कुमारी कन्या के साथ विवाह बलात्कार या व्यभिचार ही समझा जायगा । एक स्त्रीकी मौजूदगी में - दूसरी स्त्री ब्याहनेवाले आजकालकी जैन-स्मृतिमें स्त्री- घातक गिने जायेंगे; - क्योंकि आज नैतिक भावनाका जो बल चारों तरफ फैल रहा है उसकी अवग ना करके जैनसमाज सबके बीच मानपूर्वक नहीं रह सकता । जात-पाँतके बन्धन कठोर किये जायँ या ढीले, यह भी व्यबहारकी अनुकूलताका प्रश्न है । इसलिए उसके विधान भी नये सिरे से ही बनाने पड़ेंगे। इस विषय में प्राचीन reater आधार खोजना हो तो वह जैनसाहित्य मेंसे मिल सकता है; परन्तु खोजकी 'मेहनत करने की अपेक्षा ध्रुव जैनत्व - समभाव और सत्यदृष्टि - कायम - रखकर उसके आधारपर व्यवहारके अनुकूल जीवन अर्पण करनेवाली लौकिक • स्मृतियाँ रच लेना ही अधिक श्रेयस्कर है । संस्थाके विषय में कहना यह है कि आज तक वह बहुत बार फेंक दी गई 'है, फिर भी खड़ी है। पार्श्वनाथके पश्चात् विकृत होनेवाली परम्पराको महावीरने 'फेंक दिया, परन्तु इससे गुरुसंस्थाका अन्त नहीं हुआ । चैत्यवासी गये तो समाजने दूसरी संस्था माँग ली । जतियोंके दिन पूरे होते ही संवेगी साधु - खड़े हो गये । गुरुसंस्थाको फेंक देनेका अर्थ सच्चे ज्ञान और सच्चे त्यागको फेंक देना नहीं है। सच्चे त्यागको तो प्रलय भी नष्ट नहीं कर सकता । इसका अर्थ इतना ही है कि आजकल गुरुओंके कारण जो अज्ञान पुष्ट होता है, जिस विक्षेप से समाज शोषित होता है, उस अज्ञान तथा विक्षेपसे - बचने के लिए समाजको गुरुसंस्थाके साथ असहकार करना चाहिए । असहकार के अभि-तापसे सच्चे गुरु तो कुन्दन जैसे होकर आगे निकल आवेंगे । जो मैले होंगे वे या तो शुद्ध होकर आगे आयेंगे या जलकर भस्म हो जायगे; परन्तु आजकल समाजको जिस प्रकारके ज्ञान और - त्यागवाले गुरुओंकी जरूरत है, ( सेवा लेनेवाले नहीं किन्तु सेवा देनेवाले मार्गदर्शकों की जरूरत है, ) उस प्रकारके ज्ञान और त्यागवाले - गुरु उत्पन्न करने के लिए उनकी विकृत गुरुत्ववाली संस्थाके साथ आज नहीं तो कल असहकार किये बिना छुटकारा नहीं । हाँ, गुरुसंस्था में यदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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