Book Title: Shashti Shatak Prakaran
Author(s): Nemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
Publisher: Maharaja Sayajirav Vishvavidyalay

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Page 11
________________ प्राचीन गुर्जर साहित्य बहोळा प्रमाणमां उपलब्ध छे. काळना प्रवाहमा घj नाश पाम्युं हशे, परन्तु जे बच्युं छे ते पण विपुल छे. विक्रमना बारमा शतकथी आ तरफ आवतां एक पण शताब्दी एवी नथी, जेमां जूना गुजराती साहित्यमा विकसेला विविध साहित्यप्रकारोना प्रतिनिधिरूप नमूना मळता न होय. गुजराती भाषानो शताब्दीवार सिलसिलाबंध इतिहास उकेलवा माटे, जगतनी कोई पण भाषाने ईर्ष्या आवे एवी वैविध्यपूर्ण अने सुसंगोपित पुष्कळ साधनसामग्री बहुसंख्य हस्तप्रतोरूपे विद्यमान छे एने एक सद्भाग्य गण, जोईए. गुजराती भाषा माटे ऐतिहासिक सिद्धान्तानुसार रचायेला बृहद् कोशनी जरूरियात घणा समयथी ऊभेली छे—एवो कोश, जेमां बहोळो शब्दसंचय के क्रमिक व्युत्पत्ति आपी होय एटलं ज नहि, पण साहित्यिक प्रमाणो अने अवतरणोने आधारे कालानुक्रमिक अर्थविकास बतावेलो होय. पण एवा कोशना व्यवस्थित कार्यनो आरंभ थाय त्यार पहेलां केटलांक भूमिकारूपं कामो—जूना ग्रन्थोनी शास्त्रीय वाचनाओ अथवा ते ते ग्रन्थना अने विशिष्ट युगोना शब्दकोशनी रचनानां तथा विशिष्ट शब्दो के शब्दसमूहोना कालानुक्रमिक अध्ययननां कामो—थवां जोईए. आ ग्रन्थमालाना प्रकाशनमां आ रीतनुं भूमिकारूप अध्ययन रजू करवानो ख्याल पण रहेलो छे. आ ग्रन्थमालामां प्रसिद्ध थती कृतिओ तथा एना शब्दकोशो ऐतिहासिक गुजराती शब्दकोश माटे सामग्री पूरी * छेवटना केटलांक वर्षोमां आ देशमां तेम ज परदेशमां थयेला नव्य भारतीय आर्यभाषाना जूना ग्रन्थोनां संपादनोमां संपादित कृतिना प्रत्येक शब्दनी सूचि अपाती घणी वार जोवामां आवे छे. ज्यारे छूटक छूटक रूपे एकाद कृतिनुं संपादन थतुं होय त्यारे आ प्रकारनी संपूर्ण शब्दसूचिनी उपयोगिता खरी, पण एक ग्रन्थमालाना प्रत्येक ग्रन्थ माटे जो एम करवामां आवे तो बीजा ज प्रकाशनथी एमां बिनजरूरी पुनरावृत्तिनो दोष अनिवार्य रीते आवे अने संपादकना समयनो अने मुद्रणनां नाणांनो निरर्थक व्यय वधे. आथी पसंद करेला शब्दोनो कोश

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