Book Title: Shantilal Vanmali Sheth Amrut Mahotsav Smarika Author(s): Dalsukh Malvania Publisher: Sohanlal Jain Vidya Prasarak Samiti View full book textPage 2
________________ सन्निष्ठ समाजसेवी श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ अमृत महोत्सव समारोह सफलता एवं भव्यतापूर्वक संपन्न राजधानी स्थित श्री दिल्ली गुजराती समाज के शाह सभागार में प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, समाजसेवी एवं साहित्यकार श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ का ७६ वाँ जन्मदिन अमृत महोत्सव के रूप में देश भर के पचास से अधिक साँस्कृतिक एवं सामाजिक संगठनों की ओर से आयोजित किया गया जिसमें उन्हें एक लाख रुपये की 'अमृत-निधि' समर्पित की गई जिसे उन्होंने पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान को 'सर्वोपयोगी सन्मति साहित्य के प्रकाशन' के लिये प्रत्यर्पित कर दी । प्रख्यात जैन विद्वान् प्रोफेसर दलसुखभाई मालवणिया एवं डा. सागरमल जैन द्वारा सम्पादित ' स्मारिका ग्रन्थ' भी इस अवसर पर साहित्यप्रेमी सेठ श्री प्रेमचन्द जैन द्वारा उन्हें भेंट किया गया जिसमें श्री शेठ के व्यक्तित्व, कृतित्व, संस्मरण एवं मित्रों, प्रशंसकों के उद्गार के अतिरिक्त जैन संस्कृति, धर्म, दर्शन एवं साहित्य पर यथेष्ट सामग्री समाहित है । श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ अमृत महोत्सव समिति' के महामंत्री श्री भूपेन्द्र नाथ जैन एवं संयोजक श्री सतीश कुमार जैन एवं श्री इन्द्रचन्द्र जैन कर्णावट थे। सभी संगठनों के प्रतिनिधियों न माल्यार्पण द्वारा श्री शेठ का हार्दिक अभिनन्दन किया । समारोह के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाक्टर दौलतसिंह कोठारी ने मानव सेवा को शिक्षापद्धति में सम्मिलित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आशा व्यक्त की कि 'आने वाला युग विज्ञान और अहिंसा का युग होगा तथा श्री शान्तिभाई जैसे निःस्पृह मानवसेवी उस युग के पुरोधा और उनके अनुयायी पुरस्कर्ता होंगे ।' डा. कोठारी ने विशेष रूप से अनुरोध किया कि अभिनन्दन अथवा अन्य जन आयोजनों में सबकी ओर से केवल एक माला पहनाने की शुरूआत की जाय क्योंकि बड़ी संख्या में माला पहनाने में बहुसंख्यक फूलों की हिंसा होती है जो अहिंसक जैन समाज की गरिमा के अनुकूल नहीं है । अपनी अस्वस्थता के बावजूद हिन्दी के वरिष्ठतम साहित्यकार श्री जैनेन्द्रकुमारजी श्री शान्तिभाई को आर्शीर्वाद देने समारोह में आये जिसके लिये सबकी ओर से डॉ० कोठारी ने आभार व्यक्त किया । अमृत महोत्सव का उद्घाटन दिल्ली गुजराती समाज की अध्यक्षा श्रीमती विद्याबहिन शाह ने किया । श्रीमती शाह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि 'किसी देश की महानता उसके संसाधनों पर नहीं बल्कि उसकी मिट्टी में जन्मे निष्ठावान् महापुरुषों के कृतित्व पर निर्भर करती है और इसमें सन्देह नहीं कि शान्तिभाई न केवल गुजरात के, वरन् भारत के अनमोल रत्न हैं ।' पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के निदेशक डॉ. सागरमल जैन ने श्री शेठ के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें 'युगान्तरकारी प्रेरणास्तम्भ और अपने भाग्य के स्वयं निर्माता' की संज्ञा दी । सुप्रसिद्ध तत्वचितक प्रो० दलसुखभाई ने श्री शान्तिभाई को अपने अभिन्न- हृदय सन्मित्र बतलाकर आत्म-प्रशसा के भय से सिर्फ इतना ही कहा कि - 'सौजन्यमूर्ति मेरे सन्मित्र श्री शान्तिभाई सरस्वती, समन्वय और सेवा के संगमतीर्थ हैं।' मैं उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूं । Jain Education International @ www.jainelibrary.org GPage Navigation
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