Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 2
________________ प्रस्तावना. आर्य प्रजामां शकुन जोवानो रीवाज आज खांबा काळथी चाले जे. शकुनने दीपक तुट्य गणवामां आवे . अमुक कार्यनुं शुं परिणाम आवशे, श्रा कार्यज प्रवृति वखते थतां शकुन उपरथी जोवानुं बनी शके . श्रत्यारे शकुनो जोवानी पञ्चति मोटे नागे परंपरा मुजब चाले . आ परंपरामां व्यवस्था नरहेवाथी शकुन- फळ नथी मळतुं. आधी शकुन खोटां ने एम केटलाक अश्रघा करे . अन्य दर्शनोमां पण शकुन संबंधी नानां नानां पुस्तको श्रमे जोयां, पण सशास्त्र पुस्तक अमे शोधता हता. हालमा जथी हजारेक वर्ष पर श्रयेला आचार्य श्रीजिनदत्त सूरिकृत शकुनशास्त्र श्रमारा हाथमां श्राव्यु. या पुस्तकमां व्यवहारमा आवाज दरेक बाबतनां शकुनोज विस्तारथी श्रने समज पोए रीते उलेख करेलां जे. जे अवश्य जाणवा अने मनन करी उपयोगमा सेवा योग्य होवाथी सर्व आर्य नाडने उपयोगी थाय एवा हेतुथी सरल नाषांतर करावी श्रमे या पुस्तक अगीयार वर्ष पहेलां प्रसिद्ध करेल हतुं, पण तेनी तमाम नकल खपी जवाथी तेमां गर्गाचार्य कृत पाश शकुनावलीनुं नाषांतर तथा परदेश गमनादि विषयक शकुन विचारनो वधारो करीश्रा बीजी श्रावृत्ति उपावी . इति शम् । संवत् १ए७५ ली. प्रकाशक. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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