Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 2
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ८२० शब्दरत्नमहोदधिः। [चक्रवर्तिन्-चक्राधिवासिन् चक्रवर्तिन् पुं. (चक्रे भूमण्डले वर्तितुं चक्रं सैन्यचक्रं | चक्रव्यूह पुं. (चक्राकारः व्यूहः) olust२ सैन्यनी वा सर्वभूमौ वर्त्तयितुं शीलमस्य वृत्+णिच्+णिनि) | 8494 -चक्रव्यूहो महाराज ! आचार्येणाभिकल्पितः यवता २% -पुत्रमेवं गुणोपेतं चक्रवर्तिनमाप्नुहि - | -महा० ७।३३।१२ । श० १।१२ । सार्वभौम २०%. -तव तन्वि ! कुचावेतौ | चक्रशल्या स्त्री. (चक्रमिव शल्यमत्र) 50. नामनी नियतं चक्रवर्तिनौ आसमुद्रक्षितीशोऽपि भवान् यत्र वनस्पति, धोजी यह.. करप्रदः ।। - उद्भटः । वथ्थुतो-अथवो नामनु, is चक्रश्रेणी स्त्री. (चक्राणां श्रेणिरत्र ङीप्) भेढ00 विशेष. (त्रि.) श्रेष्ठ, उत्तम. नामनी वनस्पति, भ२७२।७0.. चक्रवर्तिनी स्त्री. (चक्रवर्तिन+डीप) वास मांसी. चक्रसंज्ञ न. पुं. (चक्रस्य संज्ञा अस्य) ४१६ धातु. નામની વનસ્પતિ, અલતો, સર્વ પૃથ્વીની સ્ત્રી રાજા, (पुं.) 23413 ५६.. यूथे श्वरी -एवं बाल्येऽपि जाताऽहं डाकिनी चक्रवर्तिनी चक्रसंवर पुं. (चक्रमिन्द्रियचक्रं संवृणोति अच्) सुद्धभत. -कथास० २०।११४ । પ્રસિદ્ધ એક દેવ, તે નામનો એક બુદ્ધ. चक्रवाक पुं. (चक्रशब्देन उच्यते वच् परिभाषणे चक्रसक्थ त्रि. (चक्रमिव सक्थि अस्य षच्) ut२ कर्मणि घञ्) 25415 पक्षी-यो . -दूरीभूते मयि साथगोवा. सहचरे चक्रवाकीमिवैकाम् -मेघ० ८३ । चक्रसाह्वय पुं. (चक्रण समाना आह्वा यस्य) 23408 चक्रवाकवती स्त्री. (चक्रवाकाः भूम्ना सन्त्यत्र मतुप् पक्षी.. मस्य वः ङीप्) ते नामनी मे नही, यi घ९॥ चक्रसाह्वया स्त्री. (चक्रेण समाना आह्वा यस्याः टाप्) ચક્રવાક પક્ષિણી. ચક્રવાક પક્ષીઓ હોય છે. चक्रहस्त पुं. (चक्रं हस्ते यस्य) 2348, वि.. चक्रवाकिन् त्रि. (चक्रवाक+णिनि) 4. 2.5415 पक्षी. (त्रि.) य डायम धा२५॥ ४२४२. હોય છે તે સ્થળ. चक्रा स्त्री. (चक् तृप्तौ रक् टाप्) नागरमोथ नामानी चक्रवाकी ली. (चक्रवाक स्त्रियां जातित्वात्+ङीप्) વનસ્પતિ, કાકડાશીંગી નામની વનસ્પતિ. 24us ५क्षिणी-यपी. चक्रांश पुं. (चक्रस्य राशिचक्रस्य अंशः) २शियन चक्रवाट पुं. (चक्रस्येव वाटोऽत्र वट-वेष्टने घञ्) 390 भो माय કોઈ ક્રિયામાં લાગ્યા રહેવું, કર્મનો પ્રારંભ, છેડો, चक्राकी, चक्राङ्की स्त्री. (चक्राकारेणाकति अङ्कते वा ९६, शिवाणु जाउ, हवी. ___अक्-गतौ, अकिड्- गतौ+अच् गौग० ङीष्) स... चक्रवाड पं. (चक्रमिव वाडते वेष्टयति वाड्+अच्) | चक्राड पं. (चक्रमिवाङ्गमस्य चक्रमङ्गमस्य) . ते. नामनो पर्वत. (न चक्रमिव वलते वल्+ण कलविङ्क प्लवं हंसं चक्राङ्गं ग्राम्यकुक्कुटम्- मनु० लस्य डः) भंउ, 15t२, गोमासरे वतना२ ७२05 ५।१२ । २५, 25415 पक्ष.. चक्राङ्गा स्त्री. (चक्रमिवङ्गमस्त्यस्याः अच्) सुदर्शन चक्रवात पं. (चक्रमिव वातः)वंटोनियो पवन -चक्रवात नामनो से तनो वेतो. स्वरूपेणजहारासीनमर्भकम्-भाग० १०।७।२०। चक्राङ्गी स्त्री. (चक्रमिव चक्रं तृप्तिकरमङ्गं वाऽस्याः चक्रवाल पुं. (चक्रवाड वा डस्य ल:) चक्रवाड पु. । डीए) सली, 23413 पक्षिय, भ®6, डु, श६ दुमो.. मे. पर्वत, समूह, राशि -कैरवचक्र- 05312/२0, वृष नामनी वनस्पति. वालम्-भर्तृ० २।७४ । -एवं स कृष्णो गोपीनां | चक्राट पं. (चक्रे चक्राकारमटति अट्+अण्) सप. चक्रवालैरलङ्कृतः -हरिवंशे ७६।३५ । (पृ.) vipठी, ५.53ना२ ॥२, विषवैध, धूत, ४२, ६सा°४, वी, मागणीनु भूष. એક જાતના પરિમાણનો ભેદ-દીનાર. चक्रवृद्धि स्त्री. (चक्रमिव वृद्धिः) यवृद्धि व्या - | चक्राण त्रि. ४२तुं, २९.. वृद्धरपि पुनर्वृद्धिश्चक्रवृद्धिरुदाहता-नारदः । ॥ चक्राधिवासिन् पुं. (चक्रं तृप्तिकरं अधिवासयति अधि વગેરેનો ભાડા રૂપ લાભ. वासि+णिनि) नानु ॐ3. समूह. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 838