Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 2
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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शब्दरत्नमहोदधिः। [चन्द्रिकापायिनी-चमत्कारिन् चन्द्रिकापायिनी स्री. (चन्द्रिकापायिन्+स्त्रियां ङीप्) | निय. या विन0 14. ४२८२, वि.४५ (पुं.) परी, ચકોર પક્ષિણી.
भाछ, यात ५क्षी, . तनो ५थ्थर, क्षय, चन्द्रिकाम्बुज न. (चन्द्रिकेव शुभ्रमम्बुजम्) घोj उमण, नाथ, ६२. પોયણું.
• चपलता स्त्री., चपलत्व न. (चपलस्य भावः तल्-त्व) चन्द्रिन त्रि. (चन्द्रोऽस्त्यस्य इनि) यंद्रवाj., सोनावाj. ચંચળપણું, ચપલપણું, નાશવંતપણું, અસ્થિરતા, चन्द्रिमा स्त्री. यंद्रनु, ते°४, यांनी..
જલદીપણું, ઉતાવળિયાપણું, તે નામે એક વ્યભિચારી चन्द्रिल पुं. (चन्द्रो विद्यतेऽस्य चन्द्र+इलच्) शिव,
गए. म, मे तनुं अथवा नामk us.. | चपला स्त्री. (चपल+टाप) सक्षमी. वीणी. -करवककसम चन्द्री स्त्री. (चदि+र+ङीप्) पावधी वनस्पति. चपलासुषमं रतिपतिमृगकानने- गीत० ७. चन्द्रेश, चन्द्रेश्वर पुं. शीमi. आवेद शिवमूर्ति. व्यत्मिया२ि५. स्त्री, पी५२, म, मil, मदिरा, चन्द्रष्टा त्री. (चन्द्रः इष्टो यस्याः) पोयटनी. वस, આય જેવો એક છંદ.
ચન્દ્રવિકાસી કમળ, કમલિની, પોયણી વેલ. चपलाङ्ग पुं. (चपलमङ्गमस्य) शिशुमा२. नामर्नु मे. चन्द्रोत्तरण न. (जै. द.) ओशम्मी नगरीनु में धान.. જલચર પ્રાણી. चन्द्रोत्तरायण न. (जै. द.) शाली नगरानी.परनो चपलावक्त्र न. ते नामनी मे. छ. તે નામનો બગીચો.
चपाटका स्री. मुस्खा यथा भारत, १५315 भारती चन्द्रोदकुण्ड पुं. (चन्द्रकृतमुदकं यत्र वा उदादेशः स ते, तमायो भारवो त.
चासौ कुण्डः) २i. आवेद में ता३५ . | चपेट, चपेटक पुं. (चपाय एटति गच्छति इट्+क/ चन्द्रोदय पुं. (चन्द्रस्योदयः) यंद्रन ६५, ते. नामर्नु पुं. स्वार्थे कः) चपट श६ मी. थ५५, तमायो.
में औषध-यंद्रोहय नामनो २स. - चन्द्रोदयोऽयं चपेटा, चपेटिका स्त्री. (स्वार्थे कन्) अर्थ. 6५२ प्रमा.. कथितश्च माषः-सारकौमुदी ।
खण्डकोपाध्यायः शिष्याय चपेटिकां ददाति-महा० चन्द्रोदया स्त्री. (चन्द्रस्य दर्शनादिजन्यानन्दस्य उदयो | चपेटी स्री. भा६२वा शुद्दी छ8 -भाद्रे चपेटी विख्याता यस्याः) iजन रोगन, ते. नामनु, वैध शस्त्र प्रसिद्ध स्कन्दपु० । मे. औषध . वर्तिश्चन्द्रोदया नाम्ना तथा चष्य त्रि. (चप् पवर्गान्तत्वात् कर्मणि यत्) पावा दृष्टिप्रसादनी । - चक्रपाणिदत्तः ।
યોગ્ય, ભક્ષણ કરવા યોગ્ય. चन्द्रोपराग पुं. (चन्द्रस्य उपरागः) यंदा. चम् (भ्वा. पर. सेट् स-चमति) या2j. -चचाम मधुचन्द्रोपल पुं. (चन्द्रप्रियः उपल:) यन्द्रान्त भलि. माध्वीकम्-भट्टि० १४।९४. मक्षा ७२, ulg. चन्द्रौरस पुं. (चन्द्रस्य औरसः) सुध नामनो अड, ते. आ+चम् आचामति सायमन. ४२j. -नाचामति નામનો એક છંદ.
स्वेदलवान् मुखे ते -रघु० १३।२०, -नाचमे हिममपि चप् (चुरा. उभ. स. सेट-चपयति, चपयते) ६nj, करिवारणेन -कि० ७।३४. वि+चम् विचमति uj.
यूए.२. (चुरा. उभय. सक. सेट् इशदत् चम्पयात, (स्वा. पर. स. सेट् चम्नोति मक्ष५। ७२, ulj. चम्पयते) ४. (भ्वा. उभ. स. सेट् चपति, चपते) । चमत्करण न. (चमत् कृ+ल्युट्) यमर२, ..(२.४ શાંત પાડવું. સાંત્વન કરવું, સમજાવવું.
विता, आश्चर्य।२७ व्यापार, तमासो, द. चपट पुं. (चपेट पृषो०) ५५७, ६५313, तमायो. • चमत्कार पुं. (चमत्करोति कृ+अण्) यम२, माश्चर्य, ' चपल न. (चुप् मन्दायां गतौ+कल उपधोकारस्याकारः) | ચિત્તના આનન્દનું કારણ વિસ્મય, અઘાડો નામની
शाध, सह -कुल्याम्भोभिः पवनचपलैः शाखिनो વનસ્પતિ. घौतमूलाः -श० १।१५. (त्रि.) यंयण -चपलायताक्षी- चमत्कारिन् त्रि. (चमत् कृ+णिनि) यम२. म३९, - चौर० ८. । क्ष815, 1५५ -नलिनीदलगतजलमतितरलं एव सकलजगत्त्रयहदयचमत्कारिचरितानाम् । तद्वज्जीवितमतिशयचपलम्-मोह० ५, -शैशवाच्चपल- कथासरित्-सा०, यमत्री - तदपेक्षया वाच्यस्येव मपि शोभते-का० ११।८. नाशवंत, तवाणियु, होपनो चमत्कारित्वात्-काव्य०१ ।
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