Book Title: Shabd Prayogoni Pagdandi par
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 1
________________ शब्दप्रयोगोनी पगदंडी पर १. सं. दीप दीवो 'ना पर्याय संस्कृत शब्दकोश 'अमरकोश' ('नामलिंगानुशासन' ) मां 'दीवो 'ना वाचक मात्र बे शब्द ज आप्या छे : दीप, प्रदीप ( १६, १३८) हेमचन्द्राचार्यना 'अभिधान चिन्तामणि मां सात शब्द छे : - हरिवल्लभ भायाणी दीप, प्रदीप, कज्जलध्वज, स्नेहप्रिय, गृहमणि, दशाकर्ष, दशेन्धन (३, ६८६-६८७) आमांथी पहेला बे सिवायना शब्दो खरेखर तो गुणवाचक के लक्षणवाचक विशेषणो छे. काजळ / मश जेनी उपर ध्वजारूपे छे', 'जेने तेल प्रिय छे - जे तेल वापरे छे' जे घरने अजवाळता मणि जेवो छे', 'जे वाटने खेंचीने बाळतो होय छे', 'जेनुं बळतण वाट छे' आवा ए शब्दोना अर्थ छे. हकीकते ए विशेषणो काव्यशैलीमां नाम तरीके योजातां होवानुं उघाडुं छे. ए स्वयं अभिधारूप नहीं, पण लाक्षणिक गणाय. कोशकारोए तेमना साहित्यिक प्रयोगने आधारे ते नोंध्या होवा जोईए, परन्तु प्राप्त संस्कृत साहित्यमांथी तेमना प्रयोग जाणवामां नथी. संस्कृत शब्दकोशोमां आपेला अनेक शब्दोना अनेक पर्यायो मूळे आ प्रकारना गुण के लक्षण दर्शावतां विशेषणो परथी काव्यशैलीमां रूढ बनेलां नामो छे. २. प्रा. कसरक्क 'वज्जालग्ग'मां करभने-ऊंटने लगती अन्योक्तिओना विभागमां नीचेनी गाथा आपी छे : ते गिरि - सिहरा ते पीलु - पल्लवा ते करीर - कसरक्का । लब्धंति करह मरु - विलसियाइ कत्तो वणेत्थमि || Jain Education International अर्थ : हे करभ, ए पर्वत-शिखर, ए पीलुनां पान, ए केरडाना 'कचरका'एवा मरूभूमिना सुखविलास आ वनमांथी तने क्यांथी मळे ? आमां 'कसरक्क 'नो अर्थ टीकाकार रत्नदेवे 'कुड्मल' एटले के कळी For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org

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