Book Title: Shabd Prayogoni Pagdandi par
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ [121] कृतिओमां मळतुं जे मूळ अपभ्रंश स्वरूप प्रस्तुत कर्यु अने ए रचनानी मूळ भाषा (तेना पाठनी अने प्रमाणनी जेम) उत्तरोत्तर घणी बदलाती गई होवानुं स्थापित कर्यु ते माटे तेमने अनन्य यश घटे छे / ए भाषा मूळे राजस्थानी के हिन्दी न होवाना समर्थनमां हुं अहीं तेमांथी त्रणचार प्रयोगो तरफ ध्यान खेंचुं छु : 1. मुनिजीए नोंधेला एक उद्धरणमा 'खणइ खुद्दइ' एवो प्रयोग मळे छे. आ गुजराती 'खण-खोद' शब्दनी याद आपशे. राजस्थानी-हिंदीमां एवो कोई प्रयोग नथी. 2. 'संभरिसि' मरिसि' एवो 'इसि' प्रत्ययवाळो भविष्यकाळ गुजरातीमां श्- प्रत्ययवाळा भविष्यकाळ तरीके जळवायो छे. राजस्थानी हिंदीना भविष्यकाळy अंग साधतो प्रत्यय जुदो छे. 3. 'भंगाणउं' 'सच्चउं' एवां नपुंसक लिंगनां रूप अपभ्रंश अने गुजरातीनी लाक्षणिकता छे. राजस्थानी अने हिन्दीमां नपुंसक लिंग नथी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14