Book Title: Sarva Mangal Manglyam Author(s): Padmaratnasagar Publisher: Padmaratnasagarji View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्मरक्षा नवकार मंत्र ॐ परमेष्ठि नमस्कार, सारं नवपदात्मकम्; आत्मरक्षाकरं वज्र-पंजराभं स्मराम्यहम् ॐनमो अरिहंताणं, शिरस्कंसिरसि स्थितम्; ॐनमो सम्पसिद्धाणं, मुखे मुखपटंवरम् ॐनमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी; ॐनमो उवज्झायाणं, आयुधंहस्तयोर्दृढम् ॐनमोलोएसव्यसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे; एसो पंच नमुक्कारो, शिला वज़मयी तले सव्वपावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहिः; मंगलाणं च सव्वेसि, खादिरांगारला विका स्वाहान्तं च पदंज्ञेयं परमं हवई मंगलं; वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देह-रक्षणे महाप्रभावा रक्षेयं, क्षुद्रोपद्रव नाशिनी; परमेष्टि-पदोद्भूता कथिता पूर्वसूरिभिः यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदैः सदा; तस्य न स्याद भयं व्याधि-राधि-श्चाऽपि कदाचन ८ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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