Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji
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तिजयपहुत्त स्तोत्र - ४ तिजय-पहत्त-पयासय, अट्ठ-महापाडिहेर-जुत्ताणं; समयविरत:-लिआणं, सरेमिचक्कं-जिणिदाणं पणवीसा रा असीआ, पनरस पन्नास जिणवर समूहो; नाउ रायल-दुरिअ. भविआणं भत्ति-जुत्ताणं वीसा पणयाला विय, तीसा पन्नत्तरी जिणवरिंदा; गहभूअरक्खसाइणी-घोरुवसग्गं पणासंतु. सत्तरि पणतीसा विय, सट्ठी पंचव जिणगणो एसो: वाहिजलजलणहरि करि-चोरारिमहाभयं हरउ. ४ पणपन्ना य दसेव य, पन्त्री तह य येव चालीसा, रवलंतु गे सरीरं, देवासुर-पणमिया सिद्धा. ५ ॐ हरहरः सरसुंसः, हरहुंहः तह य चेव सरसुंसः; आलिहियनागगम, चक्कं किर सबओभदं. ६ ॐ रोहिणी पन्नत्ती, वज्जसिंखला तह य वज्जअंकुसिआ; चवकेसरी नरदता, कालि महाकालि तह गोरी. ७ गंधारी महजाला, माणवि वइट्ट तहय अच्छुत्ता : मागसि महगाणसिआ, विज्जादेवीओ रखतु. पंचदराकम्मभूमिसु, उपपन्नं सत्तरी जिणाण सयं;
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