Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुह समते लद्धे, चिंतामणि-कप्पपायवब्भहिए; पाति अविग्घेणं, जीवा अयरामरं ठाणं इय संथुओ महायस! भत्तिभर-निब्भरण-हियएण; ता देव दिज्ज बोहिं, भवे भवे पास जिणचंद! संतिकरं स्तोत्र - ३ संतिकरं संतिजिणं, जगसरणं जय सिरिई दायारं; समरामि भत्त-पालग-निव्वाणी-गरूड-कय सेवं ॐस नमो विष्पोसहि-पत्ताणं, संतिसामि-पायाणं; झौं-स्वाहा-मंतेणं, सव्वासिव-दुरिअ-हरणाणं ॐ संति नमुक्कारो, खेलोसहिमाई-लद्धि-पत्ताणं; सौं ह्रीं नमो सव्वोसहि-पत्ताणं च देइसिरि वाणी तिहुअण-सामिणि, सिरिदेवी जक्खरायगणि पिडगा; गह-दिसिपाल-सुरिंदा, सयावि रक्खंतु जिणभत्ते ४ रखंतु गमं रोहिणी, पन्नती वज्जसिखला य सया; बज्जंकुरिस चक्के सरि, नरदत्ता काली महाकाली ५ गोरी तह गंधारी, मह जाला माणवि अ वईट्टा; अच्छुत्ता माणसिया, महामाणसियाउ देवीओ For Private And Personal Use Only

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