Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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भविकजीवना हितभणी, पूछे गौतमस्वाम मुक्तिमारग आराधीए, कहो किणपरे अरिहंत; सुधासरस तववचनरस, भाखे श्रीभगवंत अतिचार आलोइए, व्रत धरीए गुरुसाख; जीव खमावो सयल जे, योनि चोराशीलाख विधिशुं वळी वोसिरावीए, पापस्थानक अढार; चारशरण नित्य अनुसरो, निंदो दुरितआचार शुभकरणी अनुमोदीए, भाव भलो मनआण; अणसण अवसर आदरी, नवपद जपो सुजाण शुभगति आराधनतणा, ए छे दश अधिकार; चित्त आणीने आदरो जेम पामो भवपार ढाळ पहेली (कुमति-ए छिंडी कीहां राखी-ए देशी) ज्ञान दरिसण चारित्र तप विरज, ए पांचे आचार, एह तणा इहभव परभवना आलोइए अतिचार रे....प्राणी ज्ञान भणो गुणखाणी, वीरवदे एमवाणी रे प्रा० १ गुरु ओळवीए नहिं गुरु विनये , काळे धरी बहुमान,
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