Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 172
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra यजामहे स्वाहा ।। www.kobatirth.org चतुर्थ पूजा दुहा शरीर पुद्गलमां वस्यो, पुद्गल मानी गेह, परभव साथ न आवतुं, क्षणमां नाशी तेह. देह अनंता छंडिया, भटकी आ संसार, लाख चोराशी हुं भम्यो, तार तार प्रभु तार. ( सांभळजो मुनि संयम रागे, उपशम श्रेणी चढीआ रे-ए देशी) श्री शंखेश्वर पार्श्व प्रभु नित्य, मन मंदिरमां धरीए रे, ध्यावी गावी पाप गुमावी, श्रद्धा समकित वरीए रे. श्री शंखे० १ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यादवलोकनी जरा निवारी, षड्दर्शन विख्यात रे, वामानंदन जगजनवंदन, नमतां पावन गात्र रे. १६४ श्री शंखे० २ पर परिणतिथी अष्टकर्म ग्रही, परभोगी परकर्ता रे, अतुलबळी कर्म पिंजरमां, वसियो निज गुण धर्ता रे. श्री शंखे० ३ For Private And Personal Use Only १

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