Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 153
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्रतलीधा संभारीए, सा० हैडे धरीए विचार तो; शिवगति आराधन तणो, सा० ए बीजो अधिकार तो २ जीव सर्वे खमावीए सा० योनि चोराशीलाख तो; मनशुद्ध करि खांमणां सा० कोइ शुं रोष न राख तो ३ सर्वमित्रकरी चिंतवो सा० कोइ न जाणो शत्रु तो; रागद्वेष एम परिहरो, सा० कीजे जन्म पवित्र तो ४ स्वामी संघ खमावीए, सा० जे उपनी अप्रीत तो; सज्जन कुटुंब करी खामणां, सा० ए जिनशासनरीत तो५ खमीए ने खमावीए सा० एहज धर्मनो सार तो; शिवगतिआराधन तणो, सा० ए त्रींजोअधिकार तो ६ मृषावाद हिंसा चोरी, सा० धन मूर्छा मैथुन तो; क्रोध मान माया, तृष्णा, सा० प्रेम द्वेष पैशुन्य तो ७ निंदा कलह न कीजीए, सा० कूडां न दीजे आळ तो; रति अरति मिथ्या तजो सा० मायामोस जंजाळ तो ८ त्रिविध त्रिविध वोसराविए, सा० पापस्थानअढार तो, शिवगति आराधन तणो, सा० ए चोथो अधिकार तो ९ ढाळ पांचमी (हवे निसुणो इहां आवीया ए-ए देशी) १४५ For Private And Personal Use Only

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