________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समता शत्रुमित्रभावशुं, संवेगसुधो धरशुंजी संसारना संकटथकी छूटीश जिनवचने अवधारोजी; धन्य समयसुंदर ते घडी, हुं पामीश भवनोपारोजी
२
For Private And Personal Use Only
३
वास्तुक पूजा विधि
( आचार्य महाराजश्री बुद्धिसागरसूरिजी कृत ) हरेक वस्तु पांच पांच लेनी अष्टप्रकारी पूजा का सामान लेना, आठ स्नात्रिया करना.
एक कलश ग्रहण करे, दूसरा केशर की वाटकी ग्रहण करे, तीसरा फूल का हार वा छूटा फूल ग्रहण करे, चौथा धूप, पांचमा दीपक, छट्ठा रकाबी में अक्षत का स्वस्तिक ले करके खडे रहे, सातमे नैवेद्य ले करके खडे रहे, और आठवा फल ले करके खडे रहे, हरेक पूजा में अभिषेक पूजा करे.
५ कलश, ५ केशर वाटकी, ५ फूल का हार, १ धूपधाणं, ५ दीपक, ५ अक्षत का साथीआ, ५ नैवेद्य, ५ फल. वास्तुक पूजा जिस घर करे और जो प्रवेश करे वो भणावे, उसके घर ए पूजा भणावता आनंद मंगल हो, रोग, शोक-वहेम सर्वे नाश हो, कुंभ की स्थापना करके
१५७