Book Title: Saraswatimahapoojan
Author(s): Suryodaysuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 21
________________ श्री सरस्वतीमहापजन २० आंगणुं अमारुं पावन करवा, तनना मनना संतापने हरवा..... भक्तोतणा विघ्नोने हरवा, वायुदेवता आवो..... मेघकुमारने आह्वान मी मेघकुमाराय धरां प्रक्षालय प्रक्षालय हूँ फूट् स्वाहा ।। ( आ मंत्र बोली दर्भ अथवा फूलथी पाणी भूमि उपर छांटवू.) (राग - मल्हार, ताल - त्रिताल) वरसो रे.....वरसो रे.... मेघकुमार वरसो.... गड गड गड गड वादल गरजे, वीज करे चमकार..... मेघकुमार आवी रह्या छे, हरखे नरने नार...... . भूमिने सुवासित करवानो मंत्र ॐ भूरसि भूतधात्री सर्वभूतहिते भूमिशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।। ( आ मंत्र बोली भूमि उपर चंदननां छांटणां करवां.) चंदननां छांटणां छंटावो, भक्तिकेरा नवला रंगे.... रंगे रे केशरियो रेलावो... शरीरशुद्धिकरण(स्नान)मंत्र ॐ नमो विमलनिर्मलाय सर्वतीर्थजलाय पां पां वां वां ज्वी क्ष्वी अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा।। ( आ मंत्र बोली चेष्टापूर्वक स्नान करवू.) (राग - अब सौंप दीया) हुं नाही रह्यो छु मंत्रोथी, तन-मनने पवित्र करवाथी, पूजन भणावें भावथी, मुक्ति मेलववाना लोभथी.... संसारनां कार्यो करवाथी, कर्मों में बांध्यां रागथी, जिनेशनी भक्ति करवाथी, राग-द्वेष जाय मारा आत्माथी...१ अनादिकालथी हुँ भटकी रह्यो, तारी सेवा वगर हुं अथडी रह्यो, तने पामीने आजे धन्य बन्यो, पूजन करीने पुण्यशाली बन्यो...२ श्री क्षेत्रपालपूजनम् ॐ शाँ ी क्षौँ क्षः श्री क्षेत्रपाल सायुध सवाहन सपरिकर इह श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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