Book Title: Saraswatimahapoojan
Author(s): Suryodaysuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 22
________________ श्री सरस्वती महापूजन सरस्वतीदेवीपूजनविधिमहोत्सवे अत्र आगच्छ आगच्छ स्वाहा ।। (थालीनो एक डंको वगाडवो) अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।। (थालीनो एक डंको वगाडवो) अत्र पूजाबलिं गृहाण गृहाण स्वाहा ।। ( आखी थाली वगाडवी) विधि - यंत्रमां कुसुमांजलि तथा मांडलामां एक नालियेर स्थापन करवुं अने तेना उपर चमेलीना तेलना छांटणां करवां अने चमेलीनुं फूल चडाववुं. क्षेत्रपाल ! क्षेत्रपाल ! आवो पधारो क्षेत्रपाल ... २१ श्रीफल चमेलीनुं फूल चढावुं, माथे जासुदनुं फूल चढावुं ... विनंति करे तारा बाल.... क्षेत्रपाल ० सेवा अमारी आप स्वीकारजो, विघ्नो आवे तो एने निवारजो.... दूर करी सवि जंजाल .... क्षेत्रपाल ० सेवकनी विनंति दिलमां धारजो, भक्तोने भवथी पार उतारजो... भक्तोनी लेजो संभाल..... क्षेत्रपाल ० श्री महावीरस्वामीपूजन अर्हं श्रीमहावीरस्वामिने नमः ।। ए मंत्र बोलवापूर्वक श्री महावीरस्वामी भगवाननी वासक्षेपथी त्रणवार पूजा करवी. ते पछी एज मंत्र बोलवापूर्वक तेमने पांच वर्णनां उत्तम जातिनां पुष्पो चढाववां. ते पछी तेमने सुंदर पुष्पहार चडाववो. अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामीने तथा श्री सरस्वती देवीने पण आ ज वखते हार चडाववानो संप्रदाय छे. ते पछी अग्रपूजाना अधिकारे नंद्यावर्तनी अथवा सामान्य स्वस्तिकनी अक्षतवडे रचना करी तेना उपर रूपानाणुं अथवा सोनानाणुं तथा फूल अने नैवेद्य चडाववा. त्यार पछी स्तवनना अधिकारे श्रीमहावीरस्वामी भगवाननुं सुंदर स्तवन तथा अनंतलब्धिनिधान श्रीगौतमस्वामीनुं अष्टक बोलवुं, ।। श्रीगौतमाष्टकम् ।। श्रीइन्द्रभूतिं वसुभूतिपुत्रं, पृथ्वीभवं गौतमगोत्ररत्नम् । स्तुवन्ति देवासुरमानवेन्द्राः, स गौतमो यच्छतु वांछितं मे ||१|| श्रीवर्द्धमानात् त्रिपदीमवाप्य, मुहूर्त्तमात्रेण कृतानि येन । अंगानि पूर्वाणि चतुर्दशाऽपि स गौतमो यच्छतु वांछितं मे ।।२।। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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