Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir
________________ सद्गुरुस्मरणम्.... श्रीमज्जैनसुधर्मधुर्वहगणप्राधान्यमाबिभ्रते, A. सच्चारित्रकलाप्रवर्तन विधौ प्रख्यातकीर्तिश्रिये। निर्मानाय पराजितेन्द्रियगणक्षेमार्थिपूज्यात्मने, - भूयः श्रीसुखसागराय गुरवे सिद्धात्मने स्तानमः // 1 // - - र यन्मूर्ति रुचिरां शुभैर्गुणगणैरासेवितां निर्मलां, विद्वांसो नितरां विलोक्य समतां सम्यक् सदा भेजिरे। तस्मै वन्द्यतमाय दीव्यचरिताऽऽचारपंधानाय मे, 8 नित्यं श्रीसुखसागराय गुरवे कारुण्यधाम्ने नमः // 2 // यद्वाक्याऽमृतपानपुष्टवपुषो जैना जना जज्ञिरे, यत्पादाऽम्बुजसेवनैकरसिको योगीशवन्योऽभवत् / मूरिश्रीमबुद्धिसागर इह श्रोत्राऽमृताब्दोपमः नित्यं श्रीसुखसागरं गुरुवरं ध्यायामि तं मानसे // 3 मुनिहेमेन्द्रसागरः /
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