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कर्मकाण्ड
४४०
| अक्षर दशा/परिमाण प्र० पृ० प्र०५० (अनु० छन्द में)
लिपिकाल
आकार (से० मी०) ८ (क)
विशेष विवरण
११
१०४३०
| पूर्ण/१२
११.५४९.५
| पूर्ण/४१
२५.४४११.५ । ४८ | ११ | ३३ | पूर्ण/५४५
। १८६९वि० १८६९वि० | यज्ञसिद्धान्तों का विस्तार के साथ
विवेचन हुआ है, जिनमें द्विजाह्वान, कलशस्थापन, दिक्पालवलि आदि सभी विषय वर्णित हैं
४८x११
४० | १० | पूर्ण/२५
१५.५४१०
३७ | ८ | ३६ | पूर्ण/३०३
२३.५४१३
पूर्ण/२२५
१८६८ वि० (वैशाखसुदी १० गुरुवार)
उपनयनसंस्कार की विधि का विवेचन किया गया है
२२४१५
पूर्ण/२१२
२५४१२
| पूर्ण/२८०
१९०८ वि०
१५.६४१०.७ . २४
| पूर्ण/१०८
२५.५४१४.५
२०
१
१८७४ वि० | उपनयनसंस्कार का विवेचन किया (१७३९शक)| गया है
५५४२०
१ | ३६ | २० | अपूर्ण/२२
१८४८.५
| ७ | ७ | २० | अपूर्ण/३०
३०x१०
५६ | ८ | २० | पूर्ण/२८०