Book Title: Sanmati Teerth Varshik Patrica 2013 Author(s): Nalin Joshi, Kaumudi Baldota, Anita Bothra Publisher: Sanmati Teerth Pune View full book textPage 3
________________ सम्पादकीय सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका का लगातार बारहवाँ अंक प्रकाशित करते हए हम खुद को भाग्यशाली समझते हैं । विशेषत: आगमों की पढाई की शृंखला में हर साल अग्रेसर होकर, एक-एक आगम पर विद्यार्थियों ने किये हुए मुक्त चिन्तन प्रस्तुत करने का मौका हमें मिल रहा है । पूरे भारतवर्ष में अनेकों जैन संस्था ऐसी हैं जो सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पदवी या पदव्युत्तर अभ्यासक्रमों का जैनविद्या के सन्दर्भ में आयोजन करते हैं। कुछ गिनेचुने विद्यार्थी पीएच्.डी. की डिग्री भी हासिल करते हैं । लेकिन सन्मति-तीर्थ का सौभाग्य यह है कि जैनविद्या के अध्ययन की धुन सवार होकर सैंकडो विद्यार्थी बारह-पन्द्रह साल तक निरन्तर पढाई करना चाहते हैं। छोटे बच्चों के लिए, युवक-युवतियों के लिए और प्रौढों के लिए पाँच-पाँच साल के श्रेणिबद्ध पाठ्यक्रम पिछले २६ साल से चल रहे हैं । संस्था ने लगभग इक्कीस कार्यक्षम शिक्षिकाओं का एक पूरा दल इसके लिए तैयार किया है। प्रस्तुत पत्रिका में सूत्रकृतांग (२) पर आधारित विभिन्न लघुनिबन्ध पढकर वाचक आश्चर्यचकित हो जायेंगे । सूत्रकृतांग' ग्रन्थ के व्याख्यानोंपर आधारित पहले पाँच लेख डॉ. अनीता बोथरा ने शब्दाकिंत किये हैं । साथ ही साथ प्रतियोगिता की जानकारी भी बहुत-ही रोचक है । इसके अलावा तीन-चार विविध विषयों पर आधारित लेख यहाँ प्रस्तुत किये हैं। मराठी भाषा को 'अभिजात भाषा' का दर्जा प्राप्त कराने में जैनियों ने जो योगदान दिया है वह वाचक अवश्य पढ़ें। श्रीमान् अभय फिरोदियाजी के प्रोत्साहन के कारण ही सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका नियमित रूप से निकल रही है। हम उनके ऋणी हैं। डॉ. नलिनी जोशी (मानद निदेशक) सप्टेंबर २०१३Page Navigation
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