Book Title: Sanmati Prakaran Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi, Shantilal M Jain Publisher: Gyanodaya Trust View full book textPage 3
________________ प्रकाशकीय निवेदन आचार्य सिद्धसेन दिवाकरके 'सन्मतितकं प्रकरण' नामक प्राकृत ग्रन्थकी आचार्य अभयदेव कृत 'वादमहार्णव' नामक सस्कृत टीकाका विस्तृत तुलनात्मक टिप्पणोके साथ सम्पादन पू० प० श्री सुखलालजी संघवी और पू० पं० श्री बेचरदास दोशीने किया था, जो गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद-द्वारा पॉच भागामे प्रकाशित हुआ है। इन्ही पडितद्वयने मिलकर उक्त सम्पादनके लिए गुजरातीमे विस्तृत प्रस्तावना लिखी थी, तथा मूल सन्मति प्रकरणका गुजरातीमे अनुवाद और विवेचन लिखा था, जो 'सन्मति प्रकरण'के नामसे स्वतन्त्र अन्य रूपमे गुजरात विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित हुआ है। इस गुजराती अन्यकी अद्यावधि दो आवृत्तियाँ प्रकाशित हो चुकी है। गुजराती 'सन्मति प्रकरण' की दूसरी आवृत्तिक। आधार पर इस प्रन्यका हिन्दी अनुवाद कराकर ज्ञानोदयअन्यमालाके द्वितीय पुष्पके रूपमे यह ‘सन्मति प्रकरण' अन्य प्रकाशित करते हमे हर्ष होता है। ___इस ग्रन्थ हिन्दी अनुवादक प्रकाशितके समय श्री प० સુવાનીને વિરોષ પરિશ્રમપૂર્વ પ્રસ્તાવનામે કન્સેલની संशोधन किये है। इस दृष्टि से प्रस्तुत हिन्दी सस्करणका महत्व और बढ़ गया है। इस ग्रन्थका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करनेकी अनुमति प्रदान करने के लिए हम गुजरात विद्यापीठ-अहमदाबादक आभारी है। इस प्रयको वाराणसी मे मुद्रित करने का सारा प्रबन्ध हमारे मित्र पडित श्री महेन्द्रकुमारजी जैनने किया है , और इस ग्रंथकाPage Navigation
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