Book Title: Sankshipta Jain Mahabharat
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 2
________________ प्रस्तुत कृति का संयोजन तीन महत्त्वपूर्ण पुराणों पांडव पुराण (श्रीमद् भद्दारक शुभचंद्र स्वामी), हरिवंश पुराण (आचार्य श्री जिनसेन स्वामी), उत्तर पुराण (आचार्य श्री गुणभद्र स्वामी) के आधार पर किया गया है। इस संक्षिप्त किन्तु अत्यन्त सारवान कृति को विद्वान लेखक ने 21 अध्यायों में संजोया है। जिससे यह कृति गागर में सागर उक्ति को चरितार्थ करती है। प्रस्तुत कृति में भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ के जीवन चरित्र के साथ ही कौरवों, पाण्डवों, नारायण श्री कृष्ण एवं बलभद्र बलदेव के जीवनवृत्त पर भी विशिष्ट सामग्री प्रस्तुत की गई है। वसुदेव, प्रद्युन्न, गुरु द्रोण एवं गांगेय आदि जैसे पात्रों के जीवन पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। एक पठनीय एवं संग्रहणीय कृति। -आचार्य अशोक सहजानन्द अध्यक्ष : स्वाति अकादमी, दिल्ली-53 ashok.sahajanand@gmail.com

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