Book Title: Samyag Darshan Part 05
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 5
________________ www.vitragvani.com निवेदन | सम्यग्दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों की श्रेणी में से आज पाँचवी पुस्तक जिज्ञासुओं के हाथ में प्रदान करते हुए आनन्द होता है । अहो ! सच्चा सुखी जीवन प्रदान करके मोक्ष का मार्ग खोलनेवाला सम्यग्दर्शन ! इसकी क्या बात! इसकी जितनी महिमा करें उतनी कम है। श्री गुरुदेव ने ऐसे सम्यक्त्व का मार्ग स्पष्ट करके मुमुक्षु जीवों को निहाल किया है। आत्मा का ऐसा स्वरूप दर्शाकर वे निरन्तर भव्य जीवों को सम्यक्त्व के मार्ग में ले जा रहे हैं। आज सम्यग्दृष्टि जीवों का दर्शन और सम्यक्त्व की आराधना का सुअवसर आपश्री के प्रताप से प्राप्त हुआ है, वह आपश्री का अचिन्त्य उपकार है । सम्यग्दर्शन, वह आत्मा का सच्चा जीवन है । मिथ्यात्व में तो निजस्वरूप की सच्ची सत्ता ही दिखायी नहीं देती थी, इसलिए उसमें भावमरण से जीव दु:खी था और सम्यक्त्व में अपने स्वरूप का स्वाधीन उपयोगमय आनन्द भरपूर अस्तित्व स्पष्ट वेदन में आता है, इसलिए सम्यक्त्व जीवन परम सुखमय है ऐसा सुन्दर निजवैभव सम्पन्न जीवन प्राप्त करने के लिये हे मुमुक्षु जीवों ! श्री गुरुओं द्वारा बताये हुये आत्मा के परम महिमावन्त स्वरूप को लक्ष्यगत करके, बारम्बार गहरी भावना से उसका चिन्तवन करके, आत्मरस जगाकर सम्यग्दर्शन प्राप्त करो... यही मुमुक्षु जीवन की सच्ची शोभा है। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी वीर संवत् २४९९ ब्रह्मचारी हरिलाल जैन सोनगढ़ Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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