Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jinchandrasurishekhar, Hemendravijay, Babubhai Savchand
Publisher: Kantilal Manilal Zaveri

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Page 814
________________ संवेगरंगसाला ॥७७६॥ पत्रम् श्लोकः २८ २९ २९ २९ २९ ३० x mmmm ३० ३१ ३२ ३२ ३२ ३३ ३३८ ३३९ ३४० ३४० ३४१ ३५५ ३६० ३७९ ३८३ ३८६ ३८६ ३९४ अशुद्धम् नरसुरलच्छी, विसय० भवन्नां वगगो किलिसिउ ०पीऊस, पस० तिवख घटिस्सन्ति परभवे जणा ब्व दणं शुद्धम् नरसुरलच्छी, विसय० भवन्नवं वरागो किलिस्सि उ ०पीऊस - पस० तिकूख घट्टिस्सन्ति इह-परभवेसु जणा ! व्व दहूणं पत्रम् ३३ ३३ ३६ ४० ४० ४५ ४५ ५० ५० ५० ५० ५० श्लोकः ३९४ ४१० अशुद्धम् पडिबुद्धा ० चिघो - पंच० वियागां ४३४ ४८३ अदुराराहा ४८७ णिणिय ५४८ ५४८ ६११ ६१९ ६२१ ६२२ ६२२ शुद्धम् पडिबुद्धो ० चिंधो, पंच० वियोगाइ अदुराराहो णियणिय जहसतीए जंहसचीए पमायविरहो पमायविरहा छेयोवाणिए छेयोवडावणिए निम्सेसदुट्ठनिग्गह निस्सेसदुट्ठनिग्गह परमारहं परमाहं मणिरोहणगिरी मणिरोहण गिरी ससा पुरिससीहेसु शुद्धि-पत्रकम् 1190811

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