Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jinchandrasurishekhar, Hemendravijay, Babubhai Savchand
Publisher: Kantilal Manilal Zaveri

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Page 815
________________ संवेगरंगसाला पत्रम् ५० पत्रम् ६५ | शुद्धि-पत्रकम् |७७७॥ अS ६८ श्लोकः अशुद्धम् शुद्धम् । ६२२ भत्तिबहुमाणकरां भत्तिबहुमाणकरणं | ६३१ सम्मतं सम्म ६३४ भावारीचक्क. भावारिचक्क. आहार आहारं ६६५ नमाम नमामि ६६७ सणकुमारकप्पंम्मि सणकुमारकप्पम्मि ६७५ पुत्तय,! पुत्तय !, ६८६ पिच्छि-ऊण पिच्छि-ऊण ७०२ कारणत्तेणऊ कारणत्तेण उ ७३६ दुंदहीथणियसद्द० दुंदुहीथणियसद्द० ७५४ महुरगिगए, महुरगिराए, ७८८ जयगुरुसाहण, जयगुरुसाहूण, | श्लोकः जशुद्धम् शुद्धम् डी आराधनाह आराधना ८१६ पबयणपसंसणाए पवयणपसंसणाए .८२१ नियय निययं ८३८ विमलजसो विमलजसो ८४५ आणत्ता, आणत्तो, ८५२ पज्जालित्ता, पञ्जालिन्ता, टि.१ पसरच्छरभ० प्रसरच्छरभ० ८९९ नव हरियसलिल नवहरियसलिल. ९०५ विग्सुमरइ विस्सुमरह ९४७ पत्ता ९७० दिन हेडी नेयम- नियम ७६ पत्तो दिन ||999

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