Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jinchandrasurishekhar, Hemendravijay, Babubhai Savchand
Publisher: Kantilal Manilal Zaveri
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संवेग
गंगसाला
शुद्धि-पत्रकम्
पत्रम् २१७ २१९ २२२ २२४ २२४
॥७८१॥
२३२
श्लोकः अशुद्धम् शुद्धम् पत्रम् २७८० पडिवंध० पडिबंध
२३३ २८१५ संचारेजो संचारेज्जा २३४ २८५० पडिवक्खा पडिवक्खो २३५ २८७६ उवडंभ० उवठभ० २३६ २८७९ मक्खायसावि० मऽकूखाय साविः २३६ २९८० हियत्थवित्ताए हियऽत्थवित्तीए ! २३६ २९८९ कहबि कहावि २३६ २९९० विहरंतो विहरते
२३७ २९९३ धरावट्ठा
धरावट्ठो
२३७ २९९४ ___सोउ
३७ २९९६ मेहमहावन मोहमहावत्त ३००२ पडिववखपवखन पडिवकूखपकूख- २३८
निकिखत्त निकिखत्त । २४८
श्लोकः अशुद्धम् शुद्धम् ही गुरोरुपशश्च गुरोरुपदेशश्च ३००९ दमणं दंसणं ३०१९ रबी रवी ३०३१ देसचारित्ता देसचारित्तो ३०३३ जयणापमाय० जयणा पमाय: ३०३६ सकलत्तादन्नन्थ सकलत्तादनत्थ ३०४४ अमिग्गहा अभिग्गहा ३०४७ निरुवण निरूवणं ३०४८ त ३०४९ जिणगिहंऽता जिणगिहऽतो ३०५३ त ३०६० आसनाऽणासन्न आसन्नाऽणासन्न ३१८७ लित्तअगों लित्तअंगो
२३२
२३३ २३३
२३३
सोउ
२३३
॥७८१॥

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