Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jinchandrasurishekhar, Hemendravijay, Babubhai Savchand
Publisher: Kantilal Manilal Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 831
________________ पत्रम् श्लोक: अशुद्धम् शुद्धम् पत्रम् श्लोक: संवेगरंगसाला ६४७ ६५० ६५१ खामेसु तिविहेणं भवचक्के शुद्धम् धर्मगुरोः भरहरणे शुद्धि अशुद्धम् धर्मगुराः ०भरहणे नइ गुणजुआ भणिओ ६८० ६८१ ६८१ ६८२ ६८२ ॥७९३॥ ८८५१ ८८७४ ८८७५ ८८७९ ८८७९ जह पत्रकम् निदंसु निदसु गुणजुओ भणिओ ६५४ सिद्धिपुरीए आचार्य ६५४ ६८४ वि ८४१८ खामेसु ८४५५ तिविहेणं ८४८१ भवचक्क ८४९५ ८५१४ सिद्धिपुराए आचाय ८५५४ ८६५१ पइमयपवइह० ८६५५ रइ હેડીંગ रवरूपम् भुजइ હેડીંગ प्राथना ८७३५ .. पचआ ६८६ स्क ६५७ ६६४ ६६४ દ૬૪ पइसमयपवड्ढ० सरह स्वरूपम् ६८७ ६८९ ८९३३ सालं सीलं ८९६० दुट्ठसीलत दुट्टसीलत्त ८९६० ०हरिणक० हरिणंऽक० ८९९३ मोत्तृण मोत्तण ८९८८ पसंससह पसंसह ९००५ गाायमाणस्स गायमाणस्स ९०२७ -यंगिउणद्वरण. -यंगिउद्धरण । भुंजइ ॥७९३॥ प्रार्थना पत्रो ६९१ ६९२

Loading...

Page Navigation
1 ... 829 830 831 832 833 834 835 836