Book Title: Sammatitarka Maharnavatarika
Author(s): Vijaydarshansuri
Publisher: Jainmarg Prabhavaka Sabha Madras
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आ संबंधमां अमारुं मानवं एम छे के आजथी ९००-१००० वर्ष पहेलां थयेला ग्रंथकारोए जे काळ निर्देश कर्यो होय तेनाथी मात्र विविध अनुमानोना जोरे जुदा जुदा निर्णय उपर आवी कालनी व्यवस्थानी फेरबदली करबी ते व्याजबी नथी. आथी अमे तो प्रभावकचरित्र, प्रबंधकोश, प्रबंधचिंतामणि, विक्रमचरित्र विगेरे जैन ग्रंथो सिद्धसेन दिवाकररिने विक्रमादित्यना समकालीन माने छे अने ते दरेक ग्रंथोमां विक्रमादित्यने तेमणे प्रतिबोध कर्यानो उल्लेख छे तेनेज अनुसरतुं व्याजबी मानीए छीए.
आजथी २४७९ वर्ष पूर्वे भगवान महावीरनुं निर्वाण अपापापुरीमां थयुं. तेज वखते उज्जैनमां चंडप्रद्योत मृत्यु पाम्यो. चंडप्रद्योतनी गादीए पालक आव्यो. आ पाळक अने तेना वंशजोए ६० वर्ष राज्य कयुं. त्यावाद ९४ वर्ष नवनंदोनो अमल चाल्यो. अने १५६ वर्ष मौर्यवंशीओनो अवंतीम अमल रह्यो, भगवान महावीरना निर्वाण बाद २९३ वर्षे अवंतीमां संप्रति महाराजानुं स्वर्गगमन थयुं. त्यावाद एक वर्ष अराजकता फैलाई. पण त्यारपछी १४ वर्ष वीरनिर्वाण ३०८ सुधी मौर्यशासन ज अवंति उपर रहुँ. परंतु त्यारबाद अराजकता फैलातां सुगवंशीय पुष्यमित्रनो अमल शरु थयो . आ अमल वि.नि. ३४८ सुधी चाल्यो. ते अमल नरम पडतां बळमित्र अने भानु मित्रं ६० वर्ष वीरनिर्वाण ४०० सुधी अवंतीमां शासन चाल्युं वीरनिर्वाण ४००मां नरवाहने अवंतिनो कबजो लीधो, आ नरवाहने एकधारुं वीरनिर्वाण ४४० सुधी राज्यशासन चलायं. त्यारपछी त्यांनो राजा दर्पण थयो. दर्पणने गर्दभी विद्या साध्य होवाथी ते गर्दभभिल्ल तरीके ओळखायो. आ गर्दभभिल्ल तुवरवंशनो हतो. विद्या अने सत्ता ए वे एने न पची तेथी ते व्यभिचारी अने मदोन्मत्त बन्यो. तेणे बीजा कालकसूरिना व्हेन सरस्वती साध्वीने उपाडी. संघे अने कालकसूरिए धणुं समजाच्युं छतां ते न मान्यो त्यारे शक जातिने लावी. वीर नि. ४५३ मा वर्षे गर्दभ मिलने पदभ्रष्ट कर्यो. गर्दभमिल शूळथी मृत्यु पाम्यो अने अवंति उपर शकोनो दोर चाल्यो. ते व्यवस्थित न चालवाथी मालवगणना संगठनथी शकोने हांकी काढवामां आव्या अने गर्दभभिल्लना पुत्र विक्रमने महानिर्वाण ४५७ मां राज्याधिष्ठित कर्यो. विक्रमे १३ वर्षनो एवो सुंदर राज्यदोर चलाव्यो के प्रजा खुब प्रसन्न थइ. पृथ्वीने तेणे पू. सिद्धसेन दिवाकरसूरिना उपदेशथी अनुणी बनावी. आम महावीर निर्वाण बाद ४७० वर्षे विक्रम संवत प्रवर्त्यो.
भगवान महावीरनुं निर्वाण अने चंडप्रद्योतनुं मृत्यु पाळकना वंशजोनो अमल
नवनन्दोनो अमल
मौर्यसत्ता
पुष्यमित्र बलमित्र भानुमित्र
"Aho Shrutgyanam"
६०
९४
१५६
३०

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