Book Title: Sammatitarka Maharnavatarika
Author(s): Vijaydarshansuri
Publisher: Jainmarg Prabhavaka Sabha Madras

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Page 12
________________ वत्रीस वत्रीसीओ तेमणे बनावी हती ते वातनी साक्षि कथावली अने अनेक प्रबंधो पुरे में, सम्मतिप्रकरण पू. आ. सिद्धसेन दिवाकरमरिनो , ते वात १४४४ ग्रंथ प्रणेता हरिभद्रमुरिए 'आयरिय सिद्धसेणेण सम्मइए' कही पंचवस्तु १०४८मां निर्देर्शल छे. तेथी आ संबंधां कोई बीजो विवाद नथी. २ सिद्धसेन दिवाकरसरिना वृत्तान्त संबंधी माहिती आपनार ते पछीना ग्रंथकारोना करेल साहित्यमा नीचे मुजव साहित्य छे. १ प्रभाचंद्रसरिकृतप्रभावकचरित्रगतवृद्धवादि प्रबंध पृष्ठ ८९-१०१ वि. सं. १३३४ २ भद्रेश्वरमरिकृतकहावली (लिखित) विक्रमनी अगिआरमी शताब्दि ३ प्रवन्धकोश पृ. १५-२१ ४ प्रबन्धचिंतामणि वि. सं. १३६१ पृ. १३-१८ (मेरुतुंगाचार्यकृत) ५ चतुर्विंशतिप्रबंध , १४०५ पृ. २५-३६ (राजशेखरसूरिकृत) ६ शुभशीलगणिकृतविक्रमचरित्र .७ महोपाध्यायधर्मसागरगणिकृतपट्टावली १पू. आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि क्यारे थया आ संबंधमा आजे जुदा जुदा मतो के. पं. कल्याणविजयजी प्रबंधचिंतामणिनी प्रस्तावनामा पू. आ. सिद्धसेनदिवाकरमरिनो विक्रमनी चोथी अने पांचमी शताब्दि वच्चेनो काळ जणावे छे. २ पंडित लालचंद भगवानदास तथा मोहनलाल दलीचंद भगवान महावीरना निर्वाण पछी ४७० वर्षे विक्रम संवत चाल्यो. अने ते लगभगमां सिद्धसेन दिवाकरसूरि थया तेवी मान्यता धरावे छे. ३ मुनि जिनविजय जैन साहित्य संशोधक अंक ३ जामां सिद्धसेन दिवाकरसूरिने विक्रमनी पांचमी शताब्दिमां मुके छे. ४ डॉ. सतीशचंद्रनो मत इ. स. ५३३ नी आसपास सिद्धसेन दिवाकरसरि थया तेवी मान्यता धरावे छे. ५ डॉ. हर्मन जेकोबी इ. ६७७ आसपास पू. सिद्धसेन दिवाकरमरिनो सत्ता समय माने छे. ६ डॉ. पी. एल. वैद्यनो मत इ. स. ७०० नी आसपास सिद्धसेन दिवाकरमरिनो सत्ता समय माने छे. "Aho Shrutgyanam"

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