Book Title: Samaysara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 668
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ६३४ સમયસાર [भगवानश्री.j गाथ | पृष्ठ गाथ | पृष्ठ १४१ । जह परदव्वं सेडदि |३६३ | ५०४ | जीवस्साजीवस्स दु ३०९ | ४५६ जह परदव्वं सेडदि ३६४ | ५०४ | जीवादीसद्दहणं | १५५ । | २४९ जह पुण सो चिय पुरिसो | २२६ | ३४७ | जीवे कम्मं बद्धं | २१४ जह पूण सो चेव णरो २४२ | ३७३ | जीवे ण सयं बद्धं ११६ १९६ जह पुरिसेणाहारो १७९ २८१ | जीवो कम्म उहयं ४२ । ८७ जह फलिहमणी सुद्धो २७८ ४११ | जीवो चरित्तदंसण २ । ७ जह बंधे चिंतंतो २९१ | ४२६ | जीवो चेव हि एदे ६२ | ११६ जह बंधे छित्तूण य २९२ | ४२७ | जीवो ण करेदि घडं १०० | १८१ जह मज्जं पिबमाणो १९६ | ३०७ | जीवो परिणामयदे ११८ | १९६ जह राया ववहारा १०८ | १९० | जीवो बंधो य तहा २९४ | ४२९ | जह विसमुव जंतो १९५ | ३०६ | जीवो बंधो य तहा २९५ | ४३३ जह सिप्पि दु कम्मफलं |३५२ | ४९६ | जे पुग्गलदव्वाणं १०१ | १८२ जह सिप्पिओ द् कम्म ३४९ | | ४९६ | जो अप्पणा दु मण्णदि २५३ | ३८३ जह सिप्पिओ द् करणाणि |३५१ | ४९६ | जो इंदिये जिणित्ता ३१ | ६८ । जह सिप्पिओ दु करणेहिं |३५० | ४९६ | जो कुणदि वच्छलत्तं २३५ । ३६२ | जह सिप्पिओ द् चिट्ठ | ३५४ । ४९७ | जो चत्तारि वि पाए २२९ । ३५६ | जह सेडिया दु ण परस्स। | ३५६ | ५०२ | जो चेव कुणदि सो चिय |३४७ | | जह सेडिया दु ण परस्स । | ३५७ | ५०३ | जो जम्हि गुणे दवे १०३ | १८५ | जह सेडिया दु ण परस्स । | ३५८ | ५०३ | जो ण करेदि जगप्पं | २३१ ३५८ | जह सेडिया दु ण परस्स | ३५९ | ५०३ | जो ण कणदि अवराहे ।३०२ ४४३ जा एस पयडीअटुं ३१४ | ४६१ | जो ण मरदि ण य | दुहिदो जावं अप्पडिकमणं | २८५ | ४१७ | जो दु ण करेदि कंखं जाव ण वेदि विसेसंतरं | ६९ | १३० | जोधेहिं कदे जुद्धे १०६ १८८ जिदमोहस्स दु जइया | ३३ । ७१ | जो पस्सदि अप्पाणं ३७ जीवणिबद्धा एए ७४ | १३८ । जो पस्सदि अप्पाणं ४३ जीवपरिणामहेदं ८० | १५० | जो पुण णिरवराधो | ३०५ | ४४४ जीवम्हि हेदुभूदे १०५ १८७ | जो मण्णदि जीवेमि य |२५० ३८१ जीवस्स जीवरूवं ३४३ । | ४८१ | जो मण्णदि हिंसामि य |२४७ ३७८ | जीवस्स जे गुणा केइ । ३७० | ५१७ | जो मरदि जो य दहिदो |२५७ । ३८६ जीवस्स णत्थि केइ ५३ | १०४ | जो मोहं तु जिणित्ता जीवस्स णत्थि रागो ५१ | १०३ | जो वेददि वेदिज्जदि २१६ | ३३७ | जीवस्स णत्थि वग्गो । ५२ | १०४ | जो समयपाहुडमिणं | ४१५ । ५८९ | जीवस्स णत्थि वण्णो ५० | १०३ | जो सव्वसंगमुक्को | १८८ । २९४ । | जीवस्स दु कम्मेण य १३९ | २१३ | जो सिद्धभत्तिजुत्तो २३३ | ३६० । २५८ । ३८६ ३५७ १४ ३२ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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