Book Title: Samaysara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 671
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ગાથાસૂચી | गाथा | पृष्ठ | ६७ | गाथा | पृष्ठ । | १५३ | राया हु णिग्गदो त्ति य रूवं णाणं ण हवदि ल लोयसमणाणमेयं | लोयस्स कुणदि विण्हू व वंदित्तु सव्वसिद्ध वण्णो णाणं ण हवदि वत्थस्स सेदभावो वत्थस्स सेदभावो वत्थस्स सेदभावो वत्थु पडुच्च जं पुण वदणियमाणि धरंता | वदसमिदीगुत्तीओ | ववहारणयो भासदि ववहारभासिदेण ववहारस्स दरीसणववहारस्स दु आदा ववहारिओ पूण णओ | ववहारण दु आदा | ववहारेण दु एदे | ववहारेणुवदिस्सइ | ववाहारोऽभूयत्थो विज्जारहमारूढो वेदंतो कम्मफलं अप्पाणं | वेदंतो कम्मफलं मए ४७ । ९६ | वेदंतो कम्मफलं सुहिदो | ३८९ | ५३७ ३९२ |५६७ स | संता दु णिरुवभोज्जा १७५ २७४ ३२२ | ४७० । संसिद्धिराधसिद्धं ३०४ | ४४४ |३२१ । ४७० | सत्थं णाणं ण हवदि ३९० | ५६६ | सद्दहदि य पत्तेदि य २७५ । ४०७ | सद्दो णाणं ण हवदि ३९१ |५६७ ३९३ ५६७ | सम्मत्तपडिणिबद्धं १६१ | २५५ १५७ । | २५२ | सम्मइंसणणाणं १४४ | २२८ १५८ २५२ | सम्मद्दिट्ठी जीवा २२८ |३५० २५२ | सव्वण्हुणाणदिट्ठो २४ । ५८ २६५ | ३९३ | सव्वे करेदि जीवो २६८ ३९७ | २४६ | सव्वे पुव्वणिबद्धा १७३ | २७३ २७३ | ४०५ | सव्वे भावे जम्हा ३४ । ७४ २७ । ६३ । सामण्णपच्चया खल १०९ | १९१ ३२४ ४७२ | सुदपरिचिदाणभूदा ४६ । ९५ | सूद्धं तु वियाणतो १८६ | २९२ ८४ | १५३ | सुद्धो सुद्धादेसो १२ । २५ ४१४ | ५८७ | सेवंतो वि ण सेवदि १९७ ३०८ ९८ | १७९ | सोवणियं पि णियलं १४६ । २३९ ११० | सो सव्वणाणदरिसी | १६० | २५४ | ७ | १७ | ह । ११ । २२ २३६ |३६३ | हेउअभावे णियमा | १९१ | २९७ | ३८७ | ५३६ | हेदू चदुवियप्पो १७८ | २७७ |३८८ | ५३७ | होदूण णिरुवभोज्जा १७४ | २७४ | Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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