Book Title: Samaysara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 669
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ગાથાસૂચી ૬૩૫ गाथा | पृष्ठ गाथ | जो सुयणाणं सव्वं १० | २१ । णाणी रागप्पजहो २१८ | ३४१ | जो सो दु णेहभावो |२४० २४० | ३६९ णादूण आसवाणं ७२ | १३३ जो सो दुणेहभावो २४५ | ३७४ |णिंदियसंथ्यवयणाणि ३७३ | ५२६ जो हवदि असम्मूढो २३२ | ३५९ | णिच्चं पच्चक्खाणं ३८६ | ५३४ | जो हि सुएणहिगच्छइ ९ । २१ । | णिच्छयणयस्स एवं ८३ | | १५२ णियमा कम्मपरिणदं १२० णिव्वेयसमावण्णो ३१८ । ४६५ | ण कुदोचि वि उप्पण्णो ३१० । ४५७ । णेव य जीवदाणा ५५ | १०४ णज्झवसाणं णाणं ४०२ | ५६९ । णो ठिदिबंधहाणा ५४ | १०४ णत्थि दु आसवबंधो १६६ । २६३ | णत्थि मम को वि मोहो । ३६ | ७७ | तं एयत्तविहत्तं णत्थि मम धम्मआदी ३७ । ७९ |तं खल जीवणिबद्धं २१० | ण दु होदि मोक्खमग्गो |४०९ | ५९४ | तं णिच्छये ण जुज्जदि । | ण मुयदि पयडिमभव्यो ३१७ | ४६४ | तं जाण जोगउदय १३४ | २०९ | णयरम्भि वण्णिदे जह ३० । ६६ । तत्थ भवे जीवाणं ६१ | ११५ ण य रागदोसमोहं २८० | ४१४ | तम्हा दु जो विसुद्धो ४०७ | ५७७ ण रसो दुहवदि णाणं ३९५ ५६७ | तम्हा जहित्तु लिंगे ४११ । ५८१ | ण वि एस मोक्खमग्गो ४१० ।५८० | तम्हा ण को वि जीवो ३३७ ४८० | ण वि कुव्वदि कम्मगुणे ८१ | १५० | तम्हा ण को वि जीवो | ३३९ ४८१ ण वि कुव्वइ ण वि वेयइ | ३१९ । ४६७ | तम्हा ण मे त्ति णचा ३२७ ४७२ ण वि परिणमदि ण गिण्हदि | | ७६ | १३४ | तम्हा द कसीलेहिं य । १४७ | २४० ण वि परिणमदि ण गिण्हदि । ७७ | १४५ | तह जीवे कम्माणं ण वि परिणमदि ण गिण्हदि । ७८ | १४७ | तह णाणिस्स दु पुव्वं २८१ ण वि परिणमदि ण गिण्हदि १४८ | तह णाणिस्स वि विविहे । २२१ ३४३ ण वि सक्कदि धेत्तु ज | ४०६ | ५७७ | तह णाणी वि ह जइया ।२२३ | ३४३ । ण वि होदि अप्पमत्तो ६ | १५ | तह वि य सच्चे दत्ते २६४ | ३९१ ण सयं बद्धो कम्मे | १२१ | १९९ ।तिविहो एसुवओगो १७० णाणं सम्मादिद्वं | ४०४ | ५६९ |तिविहो एसवओगो णाणगणेण विहीणा २०५ । ३२३ | तेसिं पूणोवि य इमो ११० । णाणमधम्मो ण हवइ | ३९९ ५६८ | तेसिं हेदू भणिदा | १९० | २९६ णाणमया भावाओ १२८ | २०५ थ णाणस्स दंसणस्स य ३६९ | ५१७ थेयादी अवराहे ३०१ । | ४४२ णाणस्स पडिणिबद्धं १६२ । २५५ णाणावरणादीयस्स १६५ । २६२ | दंसणणाणचरित्तं १७२ | २७१ ११२ ७९ | १४८ । ९५ / १७१ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com


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