Book Title: Samavayanga Sutra Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni Publisher: Jaiselmer View full book textPage 2
________________ पपैक शनै कर्म सर्वपदाना सर्ववस्मादेषणाने पहिले नही जहांरागनीज की की जागते हा महारानी की जहां कि सीमा बानी पनि कोणते गाइ जाया। देश करी सहित जमाइ ॥ मुरमायाणं सचा सदरिसिया सिमयल मकटा मत मरेक यमबातह रावतेयं सि वली केही माजिद घकी उपरा प्राविधवन घी" 1 सिद्धिमतिपदशं जे हनना मोजावानी वाचाक ६ गायनमाचार्यते हनेपेष्टीभरिषां है। जिमदा पीया आधारांग बीज प्रस्वतां गजेहमी दिस्वर मधेयनामोमा २६ तेामहावीर नोटीसर्वस्वादिभावइति माचार्थना परमया वक्ता नाका २६ मा देशी गीकहीले महाराजे गागजमा दिएक श्राचारणा मयेर ६ मा दश लग से रोग अध्ययन बेत्रग कह ६गई: आमटी वारां संपादिका झोऽदालसंग मिपिडते तदा प्रायार सुदा गड' गए स प्रीय३॥ =नीसंख्याया 383 राजे 369 किया। सामसद सांग आशा नमी रोपपातिकमा जय देशमुप व्याक यावर जरायोपासक की एसार विमानमा माजिद मोहि कांही यामी कोमिक शणा श्रावकरना की मात्रा वर्ग जहांगा मीय कामाकमि= दती शाप.. श्रीयशा६ ॥ मदाय विवाहपती माया हा उदास गदाई तडपतरावदारयद साथ वो ध्ययन हि गुष्ठादिकेषन कारजत उहिदको सम्मारमविपाकसूत्र मनले ॥ सप्रदायां श्राहियका समवायांगकति सम्पक प्रकारे भिकाजोवादि पदार्थ हनै विष प्राथना खुसुक्न विद्या ष्टिवादते. प्रश्न १रुपने तेहाकीधिकारसूचकमा काय वेदसमवायां गन क बारपाकका प्रति माजीदासकल पदार्थ से करीन कामसुख श्रात्मवताचेतनावताका करी पिसंसारमा हिजी सारे पानी पकाई जा सकीएम योगले संघले पदे जा शिव मय दियाका योगी गाई विशगसए दिहिदायतञ्च एंड सभापति शहित सहा -नब\\२ एकात्माजावर एक एकल एक किरीयाकरियक्रियायोग एक लोकपिएको एकधर्मास्तिकायन तिघटादिकपदा क्रियाका विरोधकरण ॥ लोक चास्तिकायर लगस्वसावः ॥. या एक दि सामान्य कार योगादि॥ घः॥॥ एक एस श्रायां गणत्रणाथा' सोदडे शाम देख पाकिरिया गाकि शिया पहा लोप चलाएं' एणेश काँPage Navigation
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