Book Title: Samattam
Author(s): Bhanuben Satra
Publisher: Ajaramar Jain Seva Sangh
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प्रमाण कफनी मायावी द्या काड्य मावीकायानगरी माहित हिसहादत्तघरिश्राव्यवहा वनतीतिहनिंसी: वाद्याला रूम निहाल सी का दाब विश्त एणा ऊबाला इचममा स्वामी कम लाखास्वामी डम्पा बनुत्तम पात्र रूपाषिसही व सिढात्रा द्यावा से द्यो ऊ कॉपी करी राज्यमा नाच मत्रा फुंकरी-२४॥ विषपाध्माबालिपातीमा तरा वाद्याला जनगमाकोल कहकर करती प्रिंस्वाच्चाचा सालिन नि! कही क वृतांत का। लाऊन बानो षुः शुद्धा सालि नड्डा निंदा तार व्यवहारीक शदम्फचाहार||२६क्षाको लतम निद रात्र पास मऊ मलीनुमा टालता र हाटघ कानाचा पडला ती दासी राधी अनवत्याहा की पलवीद्याबन गि रहिय पायात दासी सूदरवचनव) ला सतह स्क तो लागवीलास २८ हा साहगफा पिंजरे हिरहित ड्याहाला साप । जिन क हिश्री संगिर ही शब विरलाच्या २० चपई की पल विप्र नराधिप लापरस्त्रीकरूंपाप दासा स्नात्परं गिर मिल लि शाहा स्त्रनिंदा ऩनी गमि: ३० काजली मध्सर्वणी दिनच्च मि. दासी (प)(मौबालीत सिं) स्वामी मा हावि उमस्फ
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