Book Title: Samattam
Author(s): Bhanuben Satra
Publisher: Ajaramar Jain Seva Sangh
View full book text
________________
पाचमनिनिस्वरात इष्यासाः। सत्वं मिरासी चामक स्त्री एण
ऐसी स्वसारती पहिली | (सायं घटालो भरना ही चाभी यात्री मारीचकता। रामवारी सागली की (गार कालाधरामीयाममासमका नदीवर पत्रका मात्रामा र!!मकी वऊल षामाद मंगामामि घावा नरनाराम की चूडादर ईसारा दासी या गारवा शुष्मा रषा सीमा सीसमधु पम्प पर गटामाल्या का ग निसा लानिमगिरानृपश्रीपाल गल्फ नष्टी मागका वागा बांध्यापापाधिरामध्या संगमकर स्पा [कारी चाहिrve वारूंऊमही टाला पंचमदोष प्रावीक घाऊ हासिमी याकरताच२३ दानमा ०: रागमस्कार नगरीमातृवां चिलला दाभूते हनिंदा २५ याप्रलावा कनकही चली: साहात समुंद्र गिका नही। जाहिमा गाताचचनचदन
म्या
पण माहालाची हा घ
शीतल हावा रावणला विसहरु जिंसू । घाशिया हा पमारा। डाक हम हम इणि महावीराचापहमीत सूणि हासिपापवीता रारा लगाय की जिन ए हारनीची मुमकीन मारए| बीकानाची के के नक्सली दिसनारामीत्यनवलाना म दीनदाषराव आदीशदमना!! किस्थामोर (राची तर माघ भिंडार पलन जि वनवस्वाश १६० बलितीत बि लडशमूकिरीडामसारी पदप्राबी कनिंनमे ईमामीलाइंस एषा ना 'वान्याशी दरसणी जाती को न जानारप६ दाम्शा हा स्त्रवीचार त्याहाता | बिसीग्या साद हाये सामावस ही मां हिंस्रावी । बाल्यो वाण मलिंभाकायार ऋध्वीचार या संसशजह नहायास बालावचनमुष्य दीवारः शास्त्रताकशास्त्र तो प्लाक निंदला जीव:
मीच कशावादीचा रवा ष्यात रासाई छापायऊतमपरसूष बनवली। करिवीरस्वा आणाय मोडल गार (नानीनवमा (साधारण महत जिन सही मूड ॐनम कह जमाल नं : तमकलाई गो
४८३

Page Navigation
1 ... 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542