Book Title: Samattam
Author(s): Bhanuben Satra
Publisher: Ajaramar Jain Seva Sangh

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Page 521
________________ 6 मीठाकडांपादनांशाहाणीषापराधांमधिकारणको स्वश्डरगत्य नारायण शतात्यारीतली डिक्तिणा मय महिला सफलुक ततली सिकर मित्य को मिली।97|| मलाला समतोल गिरा पाणी शिंदा मीठ इकडरं गिरिगदगुरु प्रतिमासं चा सही धर्मनां फलाहारके नही पाहवीमत्यन कार माकमार गाना दातार हे वा वित्ताः ७६|| हालाक पर लोकराणी कॉम. नवर निदिषाडिलान ७७ यागाला गमांनी निंऊ डीएप परीबी का दाष एसा ष्णा महामंत्री स्त्रावीसही वाचन नाय बांबी ५ः डाणी राहत! नव्या बालावधूणी के शिकार पाम्पापास या जिनवर निईला गियाया पवती गंडानं पतीचारसम्म एप डाल दुसाद दाय एनी ना दिसती समाादवी सतीप वस्त्र मलमलचनी वरादी ऊको जिनधर्म व ताकात सइर्गत इलेषी: तिनरम रम्रटम नीमवसेष!!७॥ कर्मगंगम करो कोई हरा किसी रबी चंप एपको ही सवऊंत्यमानाति प एप षोई अलवाड से २४ • ० सिटसाई: एइलवर वाध्यामाज्ञा मोकन कर गोवली लोटा]] नद्या तासकर इते |[पटाली/धापापतला सिपाट १२ नद्या मंकाको वलीक दिन | नद्या की तमादहती सीम्रपरगाहास चली हनीप घासत हासतोपानी मांग मांग इकडाद्या जितुम शिवाला यात मणिः। घायमङ्गासी हमूहाची एसटी टासिम की मार वाघाऽष्णतर् त्रपदीना चकवी हा मी हालवी का मर्मसार ८६ दारा०] यमताच घी नाही मित्र हामी ध्या पाहवया सकल वाचाघाटाल माधर्भ संसाराजा पाती मला तह प्रससमावाधिसमाससमकीत हमार इस मकीतामहाला गिवणसिदिहा नाकावर मारहाण सह निवलयमध्याराग ममकीतादास तसही नीरागाहा लगाया गोळाही सवीश्री जिनकहशङ्गसम की तथारी मध्यास्तु तत्रंमकारमनाहा दहाचा एक टा लिंममकीत [हाय परीचश्मा घ्याची नाएगा। पचणमायाला २ *!! ૪૮૨

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