Book Title: Samattam
Author(s): Bhanuben Satra
Publisher: Ajaramar Jain Seva Sangh
View full book text
________________
S
त्रीकाणी ६शात समवा गारा पंचम्लगवती गानामा
६शता धर्मक माग सही सुता तालही ६ ॐ पाना क दिशांगारागात सात गड दिशांगात ६४ तर दवाई गर नत सही प्रश्न व्याक दिस मही६वी पाक सूत्रऊगी सारा पार नाघ६६ वाई पांगाराम मिालीश राजश्री बी इस ही ए६ डीवाली गमऊ पामराची ज्ञात सही। एनवणाचा हुक ए||६||पाच मुलु डीएपत्ती करू चंदनतीजा एए ६ सुनती साराराऊ पांग सातमा निरयाव ला ७० वली ऊंपो गर नफ़ीच कलपावत सकारलोपशा फावत मकसारए हीचारवनि दि शाति बारपाटाला साज्यादन] विश् आवार्ड दमिपयनानर एए: सवन्नरदनांपा तिगृह गए। मगिचा महासू जिन मुकुरान ही मलए: 11 बाइंच्या ऊंरपचषां गाएकमनाघईची माहापाए तहमा रहता। ए७४ प्र झाहिए। चाघऊं पनाह ली खोलीच का ए| पांच मनातल
श्
gha
पुटहरु पापाचीदांची जयंम रोएगलीची जात सातनं । म्हसि माथी तानं ७६ [नाम दावंड स्व पण तोपदवीपा मित्रा वामसंस्तार कमारायचं नारिपारप 1995 ला एकलपट षंघन सी घबंधास्थार: माहान मी घव एएए। संदेषां एप |SI|तिकलपा गिसारा पंचकल में घणा वीचारण: [उदघन एकहार पा चारचचानः शक पहिलङ्गी सार ए: दसवी कालिक ऊहम् तदमालाफ बिसतिए नंदी समूह विए पस्ताली सद्यागमका ह्या सूनापानी राजाय स घमेगसम की ततः पधरिम सजदा करते धनवत श्रीवस्त्रराय दवाखान्यमागमईया ॥८४॥ धर्मसाधवाविवाषिहोय ऊसपराग बीहा लोग मम का मन धरता गन्यमागवीमात्राला पड्या सापाची पारस नागलिरघरधन्यास्वादन एणा नही पार ए६ घरमी गंरागबजा दीप्रत इत्याहा हीय।
न्छ
प्रथममिंग
तिपुष्प मिलह्या मूल कारणाचाद कानात वाईपनी गतिए प्राचायागचार बीडस् एणा पाशहा धिताषन जल हिस मुकीतनी मल घाय॥२॥ स्थागभवांतूमा समकीतधारी तह
3g
४७७

Page Navigation
1 ... 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542