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________________ ૨૨ प्रमाण कफनी मायावी द्या काड्य मावीकायानगरी माहित हिसहादत्तघरिश्राव्यवहा वनतीतिहनिंसी: वाद्याला रूम निहाल सी का दाब विश्त एणा ऊबाला इचममा स्वामी कम लाखास्वामी डम्पा बनुत्तम पात्र रूपाषिसही व सिढात्रा द्यावा से द्यो ऊ कॉपी करी राज्यमा नाच मत्रा फुंकरी-२४॥ विषपाध्माबालिपातीमा तरा वाद्याला जनगमाकोल कहकर करती प्रिंस्वाच्चाचा सालिन नि! कही क वृतांत का। लाऊन बानो षुः शुद्धा सालि नड्डा निंदा तार व्यवहारीक शदम्फचाहार||२६क्षाको लतम निद रात्र पास मऊ मलीनुमा टालता र हाटघ कानाचा पडला ती दासी राधी अनवत्याहा की पलवीद्याबन गि रहिय पायात दासी सूदरवचनव) ला सतह स्क तो लागवीलास २८ हा साहगफा पिंजरे हिरहित ड्याहाला साप । जिन क हिश्री संगिर ही शब विरलाच्या २० चपई की पल विप्र नराधिप लापरस्त्रीकरूंपाप दासा स्नात्परं गिर मिल लि शाहा स्त्रनिंदा ऩनी गमि: ३० काजली मध्सर्वणी दिनच्च मि. दासी (प)(मौबालीत सिं) स्वामी मा हावि उमस्फ माहिमामा सज्जोईड्रादमा ३१ (विन क हि पिनाकिनम लिमावनधाता दाभी कहिऊसर करि स्वीकार पिन्ट राशिदलीत रानिक साजबंधावी सम्पशनाच्चो ईश्वरक मानस कनारीका मात्र पाइनदाता वहिला की काउसरता। बिमा सा मोचनादद्यमितएईका जघन (ial लायात्राह्मणाममा काया स्त्री काम निकास्फन घायाळात दावहारी बालीपनः विचार कराना ग्यारवपन जाली राज्याचा टिकाना सुटिय नरचा एपोत्यात: बहुवराज घाला मड्या हि प्रसे राजा निम निद्यावी दया/माग्प विप्रका हा विचार करीता बापत नजीब ही कर्मकयात मांडी श्रीमंमया की पलक हियाला वीक पबमा धावी सफरी ३८). विश्वालाचं वाला खडा सिला सिंगलाच तास दिमासासमा समा | मासाऊदसवीस वीसमासमू फे हाथा मार्गमा सास हिएकादाय! बासित प्यार एवाझवीचार मायुंमा मासहिस विच्यार : ४० : पचास हिर्मन ही पडिलपाल तान पनिस्पडिकाईक मनमा कनि १७ ૪૭૫
SR No.023245
Book TitleSamattam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuben Satra
PublisherAjaramar Jain Seva Sangh
Publication Year2010
Total Pages542
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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