Book Title: Samattam
Author(s): Bhanuben Satra
Publisher: Ajaramar Jain Seva Sangh

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Page 510
________________ कार (सावि इस्तलानामा सी लिवाभाब मालिनीवा मामा स्वारामाचावासा नामासी लिनारदसावरा गया। सीलतोड पबला ||४६ स्फट सील नित पनपा वीकटक मीतसघलायची ती पदवील दिव (कचित सान्या व हि ||४७) नंदा सुनीतबकरीद) दिव तमरी बहा तिरसहित २ लीचकानी परिलाला करी ||४त रूपी वरिष बिजहा तिहना फुलवली कही ईण्ड फल पहना मुगतिसही व्हाया पाडवप्रखमुनीवर जाय ।। माहाराट कुमान मालीप रम्फारा घोकाय ऊं दाईरायातपतयता खनी मुगतिकाय: दानमीलन पाजायादरि फलावह ईश्न विधाित्र एन विपाम लायमऊ गमां हिंई कंद फूल मलावन; एक ही परीसाच दाबा लघी तपासमक तहः चारीचना सूघा चंडीकर वामी बुध परः कषायनी गृहिए के लवादापटाल वा करल्यास क्या वानरागवचकरः श्रीमंगपर परी हर पत्रः धर्मवाषिसधीरताप बिहेमन करतो एस एतं । पंचप्रकार करइसजायाचदा बाल घी नाचलल थायः॥५४॥ इहा। दानसीलनपज्ञावना। नाष्पाचारप्रकाराई) १३ ० राधिश्राचारासम की तडष्टीतिसही मूग तित्तणो दवऊपर ऊं धर्मनी पालवी जनाता टा नधर्मारा६तापा मिलवाना पार!!धर्मतचची सही लहार ५६३णितञ्च राधाता' इंडिवि लादमीचंदायनी रागादा का वातोरसम की नारीवादन नाजानना || एहनीनविकी जम ताहारी एन विद्यापिमूग तिज मारी- ५८ रपातिन लिचाकतिही एपरचर्धनमा शिखापनतशित पर लोनी का मुकषाई पर निमाहार में कि ऊधाई: गतिमाहिनवा माहालि भागी गत्यते । कही परिश्रा कामतोरियाणा मदम्बरदी ससूर माजीमानाः रामस्वरनहीषदाई||६|| दात्राविशनाद रश्रीगमन तो हिचा दरता। लिपर रामस्वर पाप नहर हिपतिराशित्वचनमुष्धीप एनाषिका का डाब करता जीव देशा दीक नवी पर हरता य ताः ६ चामीषल घिमदिरा मणिचा बिवाहन परीग्र नविद्या सिनारीणाषि ६२ द्वा नारी पाषिकान ही क हिप राम स्वनो मत ही गानपांमीशन सरिश्रातम् को माहाला दिसी नंदन मंत्री मला जल रावि रागच साम्रात मका मसरिन ही रत इति ऊ रूमः कवली हिनिए पातिपापी ती आरती: माषदी यिसके कह निराश्राम का मम स्निही तह १६ ૪૭૧

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