Book Title: Samarsinh
Author(s): Gyansundar
Publisher: Jain Aetihasik Gyanbhandar

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Page 267
________________ २३० समर सिंह सैद्धान्तिक श्रीविनयचन्द्रसूरि की मूर्त्ति पाटण में वासुपूज्य जिना - लय में है | ( जिन वि० भाग २ रा लेख सं० ५२८ ) प्रद्मचन्द्रसूरि बृहद्गच्छ के पद्मचन्द्रसूरिद्वारा वि. सं. १३५६ में प्रतिष्टित पार्श्वनाथ जिनबिंब खंभात में चोकसी की पोल में चिंतामणि पार्श्व जिनालय में विद्यमान है । (बुद्धि० भाग २ लेख नं० ८०३) प्रबंधकारने देवसूरिगच्छ के पद्मचंद्रसूरि बताए हैं, वे कदाचित् यही आचार्य हो । सुमतिमूरि संडेर गच्छ के सुमतिसूरिद्वारा बि. सं. १३५० में प्रतिष्टित कराई हुई श्री अजितनाथ प्रभु की मूर्त्ति दिल्ली में लाला हजारीमलजी के घर देवालय में है । एवं वि. सं. १३७९ में प्रतिष्टित मूर्त्ति बनारस के रामघाट पर आए हुए &6 कुशलाजी का बड़ा मन्दिर के नाम से जो स्थान प्रसिद्ध है उसमें विद्यमान है । ( पूर्ण नाहर ले० संख्या ५१९, ४१५ ) ० वीरसूरि भावडारगच्छ के वीरसूरिद्वारा वि. सं. १३६३ में प्रतिष्टितः पार्श्वनाथविंग बड़ौदे में दादा पार्श्वनाथजी के मन्दिर में है । ( बुद्धि० भाग २ रा ले० संख्या १३२ ) सर्वदेवरि थारापद्रगच्छ के शांतिसूरि के शिष्यरत्न इन सर्वदेवसूरिद्वारा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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