Book Title: Samarsinh
Author(s): Gyansundar
Publisher: Jain Aetihasik Gyanbhandar

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Page 291
________________ (२५४) मुनिश्री ज्ञानसुन्दरजी रचित चार अनमोल रत्न जैन जातियोंका प्राचीन सचित्र इतिहास महामन संघ स्थापित हो. नेका कारण बहुत खूबी से लिखा गया!बीच बीच में ६ फोटू रंगीन बढ़िया मार्ट पेपर पर हैं। परन्तु कीमत चार आना मात्र जैन जातिकी वर्तमान दशा पर प्रश्नोत्तर कई लोग बिना सोचे समझे जैनधर्म और जातिपर कई! तरह झूठे कलंक लगाते है उनका मुंहतोड उत्तर देबनायो। तोइसको जरूर मंगाकर पढिये कीमत तोन आमा जैन जाति निर्णय ओसवाल जाति समय प्रथम द्वितीयाङ्क निर्णय अगर भापको प्रत्येक गोत्र विषय पुस्तकके नाम से हो स्पष्ट है। ओसवाल कब हुप का संवा इतिहास जानना है इस विषयमें कई मतभेद है। तो इस पुस्तकको नकर मंगा. इस पुस्तकमे सब मतोंकी पेति कर पढ़िये । इसमें महाजन हासिक आलोचना की गई। बंध मुक्कापडी की सबो कालो और सिद्ध किया गया है कि ओसवाल जाति कब बनोगी। कीमत चार आमा मात्र कीमत तीन भाना मंगानेका पता-जैन ऐतिहासिक ज्ञान भंडार-जोधपुर । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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