Book Title: Sakaratmak Ahimsa Author(s): Kanhaiyalal Lodha Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 5
________________ परम श्रद्धेया महासती जी श्री जसकंवर जी म. सा. जिनके रोम-रोम में हिंसा ही हिंसा भरी है और जिन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए जोगणिया में घोर हिंसक पशुबलि को बन्द कराने जैसी शुभ प्रवृत्ति का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सम्यग्ज्ञान व दर्शन के आधार Jain Education International हिंसा और विशेष रूप से इसके सकारात्मक पक्ष को अपने चारित्र का अभिन्न अंग बनाया को सादर समर्पित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 404