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परम श्रद्धेया महासती जी श्री जसकंवर जी म. सा. जिनके रोम-रोम में
हिंसा ही हिंसा भरी है
और
जिन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए जोगणिया में घोर हिंसक पशुबलि को बन्द कराने जैसी शुभ प्रवृत्ति का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सम्यग्ज्ञान व दर्शन के आधार
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हिंसा और विशेष रूप से इसके सकारात्मक पक्ष को
अपने चारित्र का
अभिन्न अंग बनाया
को
सादर समर्पित
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