Book Title: Sakaratmak Ahimsa
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 12
________________ x ] सकारात्मक अहिंसा 10. निवृत्ति और प्रवृत्ति : पं. सुखलाल संघवी 194 11. निवृत्ति एवं प्रवृत्तिपरक अहिंसा : महासती श्री पुष्पवतीजी म. 201 12. तीर्थङ्करों का वर्षीदान क्या विसर्जन नहीं है ? : संघप्रमुख मुनि श्री चन्दनमल जी 209 13. मनुष्य और सेवाधर्म : केदारनाथ 215 14. अहिंसा का वैज्ञानिक प्रस्थान : काका कालेलकर 222 15. कर्मक्षय और प्रवृत्ति : किशोरदास घ. मश्रुवाला 229 16. करुणा मोह का अंश नहीं ध्वंस है : आचार्य श्री विद्यासागरजी म. 233 17. सेवा धर्म : युगलकिशोर मुख्तार 238 18. सर्वहितकारी प्रवृत्ति और सेवा : स्वामी श्री शरणानन्दजी 248 19. दया-दान के दोहे : सत्यनारायण गोयनका 280 20. सेवा के बिना अहिंसा अधूरी : डी. आर. मेहता 283 21. सेवा से आत्म-विकास : श्रीमती सुशीला बोहरा 290 22. सेवा-गीत : डॉ. नरेन्द्र भानावत 296 23. दान, दया का एकान्त निषेध खतरनाक : ___पं. बेचरदास दोशी । 298 24. सेवा में सदुपयोग : श्रीमती प्रसन्ना भण्डारी 299 25. जीव मात्र के लिए ग्रादर : संकलित 301 26. बलिदान-सेवा-चैरेटी : महादेव भाई 302 27. Positive contents of Jinism : Joharimal Parakh 303 परिशिष्ट 330 शुद्धिपत्र 349 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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