Book Title: Sachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Author(s): Purushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 312
________________ ३४. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/९/४८-५० ३५. महावीर चरियं ८, प्रस्ताव, पृ. ३३४/१ ३६. अनुत्तरौपपातिक, वर्ग १, अध्ययन १ ३७. वही, वर्ग २, अ. १-१३ ३८. (क) अन्तकृद्दशांग, वर्ग ७, अ. १-१३ (ख) अनुत्तरौपपातिक, वर्ग १-२, अन्तकृद्दशांग, वर्ग ७, अ. १-१३ ३९. (क) सूत्रकृतांग नियुक्ति टीका, श्रु. २, अ. ६, प. १३६, (ख) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/७/१७७-१७९ ४०. भारतीय इतिहास : एक दृष्टि, पृ. ६७-६८ ४१. सूत्रकृतांग सूत्र श्रुत. २ अ. ६ शीलांक वृति ४१अ. भगवती, श. १२, उ. १२ ४२. आवश्यकचूर्णि, पृ. ९१ ४३. अनुत्तरौपपातिक, अ. १ ४४. वही, अ.१ ४५. भगवतीसूत्र सटीक, श. ५, उ. ४, सू. १८८, प. २१९-२ ४६. वही, श. ५, उ. ४, प. २१९-१-२ ४७. अन्तकृद्दशांग ४८. उपासकदशांग, अ. ८ ४९. भगवती, श. ५, उ. ९ ५०. वही, श. १, उ. ६ ५१. निरयावलिया (कप्पवडिंसिया) ५२. ज्ञाताधर्मकथा ५३. उत्तराध्ययन, अ. २१ ५४. अन्तगडदसाओ, पृ. ५-६ ५५. भगवतीसूत्र, श. १५ ५६. वही, श. १५ ५७. निरयावलिका टीका, प.६ ५८. भगवतीसूत्र सटीक, सू. २९९, प. ५७८ ५९. वही, श. ७, उ. ९, सू. ३०१ ६०. वही, सूत्र ३०९ ६१. उत्तराध्ययन, अ. लक्ष्मी बल्लभ टीका ६२. वही, प. ११ ६३. भरतेश्वर बाहुबली वृत्ति, प. १००-१०१ ६४. उत्तराध्ययन २३/६-८ ६५. वही २३, प. ३९९-४१४ ६६. भगवती, श. ११, उ. ९ ६७. अनुत्तरौपातिक, पृ. ७०-८३ ६८. भगवतीसूत्र ३/१/२७०-२८३ ६९. वही, श. ८, उ. ५, पृ. ३६७ ७०. वही, श. १८, उ. १०,६४७ ७१. औपपातिकसूत्र अम्बड़ प्रकरण ७१अ. व्याख्याप्रज्ञप्ति ९/३२/३७१ ७२. वही, ९/३२ ७३. वही, श. ८, उ. १० ७४. समवायाङ्ग २२ ७५. भगवतीसूत्र सटीक ८/१०, प. ७६४-७७८ ७६. वही १७/३ ७७. वही, श. १८, उ. ७, प. ७५०-७५१ ७८. वही, श. ७, उ. १०, पृ. ३२३-३२४ ७९. वही ११/११/४२४/४३२ ८०. (क) आवश्यकचूर्णि उत्त., पत्र २०३-२०४, (ख) हारिभद्रीया वृत्ति ७१५-७१६, (ग) आवश्यकनियुक्ति दीपिका, गाथा १२०५ (क) उत्तराध्ययन सटीक, अ. १०, पत्र १५४, (ख) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/९/७४ ८२. भगवती, श. ७, उ. १०, पृ. ३२५-३२६ ८३. वही, श. ७, उ. १०, पृ. ३२६-३२७ ८४. वही, श. ७, उ. १०, पृ. ३२७ ८५. वही, श. १, उ. १०, पृ. १०२-१०३ ८६. वही, श. १, उ. १०, पृ. १०६ ८७. वही, श. २, उ. ५, पृ. १३१-१३२ ८८. वही, श. २, उ. ५, पृ. १४१ ८९. वही, श. ५, उ. ३, पृ. २१४ ९०. वही, श. ५, उ. ६, पृ. २३० ९१. वही, श. ६, उ. ९, पृ. २८४-२८५ ९२. वही, श. ६, उ. ९, पृ. २८५-२८६ ९३. (क) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/१३/३२, ७२, (ख) स्वप्न व उनके फलों का कथन सौभाग्य पञ्चग्यादि पर्व कथा के दीपमालिका के व्याख्यान में पत्र ८१-- ८२ में भी आधार पर है। ९४. कल्पसूत्र सुबोधिका टीका, प. ४९३ ९५. "तह गर्दभिल्तरज्जस्स ठायगो कालगादियो होहि। तेवण चउ सएहि, गुणसमकलिय सुअपउत्ती॥" ९६. (क) कल्पसूत्र, (ख) महावीर चरियं, प्रस्ताव ८/१ ९७. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/१३/२१८-२२० ९८. (क) समवायांग ५५ (ख) कल्पसूत्र १४७ ९९. भगवान महावीर : एक अनुशीलन, पृ. ५९९ (आचार्य देवेन्द्र मुनि) १००. (क) भगवती १४/७ (ख) गौतम को समझाने के लिए प्रभु महावीर ने उत्तराध्ययन सूत्र १०/२८ में बहुत प्रयास किया है। १०१. (क) कल्पसूत्र १२७ (ख) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/१५/२४७-२४८ (ग) प्रकल्पन महापुरिस चरियं, पृ. ३३१४ १०२. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/१३/२४९-२७१ | २५२ - सचित्र भगवान महावीर जीवन चरित्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328